Wednesday, December 11, 2024
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दक्षिण एशिया का हाल! यहां इस वजह से हर साल 6,500 से अधिक किशोरियों की हो जाती है मौत

दक्षिण एशिया कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। यहां सबसे बुरा हाल किशोरियों का है जिनकी मौत बच्चों को जन्म देते समय हो जाती है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Jul 12, 2024 19:51 IST, Updated : Jul 12, 2024 19:51 IST
Girls die in child birth in South Asia- India TV Hindi
Image Source : FILE AP Girls die in child birth in South Asia

काठमांडू: दक्षिण एशिया में बच्चे को जन्म देने के दौरान हर साल करीब 6,500 किशोरियों की मौत होती है। इनमें से अधिकतर नाबालिग होती हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) के संयुक्त विश्लेषण में यह बात कही गई है। विश्लेषण के अनुसार, दक्षिण एशिया में 29 करोड़ बालिका वधू (Child Bride) हैं जो पूरे विश्व में ऐसी वधुओं का करीब आधा हिस्सा है। शुक्रवार को यहां समाप्त हुए दो दिवसीय ‘दक्षिण एशिया क्षेत्रीय किशोरी गर्भधारण संवाद’ में दक्षेस के देशों, यूनिसेफ दक्षिण एशिया, यूएनएफपीए और डब्ल्यूएचओ ने अपनी संयुक्त विज्ञप्ति में दक्षिण एशिया में प्रति साल बच्चों को जन्म देने वाली 22 लाख से अधिक लड़कियों के लिए अहम सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रति प्रतिबद्धता बढ़ाने का आह्वान किया। 

दक्षेस महासचिव ने क्या कहा

दक्षेस महासचिव राजदूत गोलाम सरवर ने कहा, ‘‘किशोरी गर्भधारण में कमी लाने में इन वर्षों में दक्षेस क्षेत्र में हुए सुधारों के लिए मैं सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और प्रबुद्ध समाज की भूमिका की सराहना करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस क्षेत्र को अब भी लंबा सफर तय करना है। मैं सभी से दक्षेस क्षेत्र में बाल विवाह, किशोर स्वास्थ्य शिक्षा की सुलभता और किशोर जनसंख्या के प्रबंधन में सामाजिक दाग को हटाने समेत मूल समस्याओं के समाधान का आह्वान करता हूं।’’ 

भयावह हैं हालात

संयुक्त विश्लेषण के मुताबिक, दक्षिण एशिया में हर साल करीब 6,500 किशोरियां बच्चों को जन्म देने के दौरान मर जाती हैं। जब बालवय लड़कियां बच्चे को जन्म देती हैं तो उनकी जान जोखिम में पड़ जाने की आशंका होती है क्योंकि वो जन्म देने के लिए शारीरिक रूप से परिपक्व नहीं होती हैं। हजारों अन्य लड़कियों को बीच में ही स्कूल की पढ़ाई छोड़ देने, सामाजिक कलंक, अस्वीकृति, हिंसा तथा जीवनभर सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के लिए बाध्य कर दिया जाता है। दक्षिण एशिया में 49 प्रतिशत किशोरियां शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं होती हैं जो दुनिया में इस क्षेत्र में ऐसी किशोरियों की सर्वाधिक संख्या है। 

'करने होंगे बेहतर प्रयास' 

यूनिसेफ के दक्षिण एशिया मामलों के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा, ‘‘हमें किशोरियों खासकर विवाहित, गर्भवती या मां बन चुकी लड़कियों के लिए बेहतर प्रयास करना चाहिए। सीखने, अच्छी स्वास्थ्य सेवा पाने और पौष्टिक भोजन खाने में बाधाओं के अलावा, उन्हें कौशल विकसित करने और व्यवसाय शुरू करने के अवसर से वंचित किया जाता है - माता-पिता के रूप में उन्हें अपनी क्षमता को पूरा करने और आगे बढ़ने के लिए जो कुछ भी चाहिए उनसे उन्हें वंचित कर दिया जाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें दक्षिण एशिया में 17 करोड़ से अधिक किशोर लड़कियों की संभावनाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और उनकी खातिर अवसरों में निवेश करना चाहिए। ऐसा करना इस क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी होगा।’’ (भाषा)

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