Thursday, April 25, 2024
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आतंकी संगठनों को लेकर अमेरिका ने तालिबान को निशाने पर लिया, पाकिस्तान को साझेदार बताया

पाकिस्तान और तालिबान के रिश्तों में जिस तरह धीरे-धीरे तल्खी आती जा रही है, उससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों के बीच एक बड़ा टकराव देखने को मिल सकता है।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Updated on: January 05, 2023 10:56 IST
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Image Source : AP आने वाले दिनों में पाकिस्तान और तालिबान में टकराव देखने को मिल सकता है।

वॉशिंगटन: आने वाले दिनों में अगर तालिबान और पाकिस्तान एक दूसरे के खिलाफ मैदान-ए-जंग में नजर आएं तो हैरानी की बात नहीं होगी। दरअसल, पिछले कुछ महीनों में दोनों के रिश्तों में काफी ज्यादा तल्खी आई है, और एक मजबूत तालिबान भविष्य में पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत बनने जा रहा है। यही वह है कि व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के यह सुनिश्चित करने में साझा हित छिपे हैं कि तालिबान आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे और उन्हें अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति न दे।

‘आतंकवाद एक अभिशाप बना हुआ है’

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘आतंकवाद एक अभिशाप बना हुआ है, जिसने कई पाकिस्तानी, अफगान और अन्य निर्दोष लोगों की जान ली है। अमेरिका और पाकिस्तान का वास्तव में यह सुनिश्चित करने में साझा हित है कि तालिबान प्रतिबद्धताओं पर खरा उतरे, जिससे ISIS-K, TTP, अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा न बन पाएं।’ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से पाकिस्तानी राजनीतिक नेतृत्व को खतरे के संबंध में किए एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा कि अमेरिका किसी भी संगठन द्वारा उत्पन्न हर तरह के खतरे की निंदा करता है।

‘पाकिस्तानी लोगों ने बहुत कुछ सहा है’
प्राइस ने कहा, ‘निश्चित रूप से TTP जैसे आतंकवादी संगठन से इसी तरह की हिंसा का खतरा है हम जानते हैं कि आतंकवादी हमलों के कारण पाकिस्तानी लोगों ने बहुत कुछ सहा है। हम जानते हैं कि तालिबान ने आतंकवादियों को अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल न करने देने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की है। हम तालिबान से उन आतंकवाद रोधी प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने का आह्वान करना जारी रखेंगे।’ अफगानिस्तान के अंदर व सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के हमलों में अब तक कई पाकिस्तानियों की जान गई है।

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Image Source : AP
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस।

‘पाकिस्तान को अपने बचाव का हक है’
प्राइस ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘बिल्कुल, पाकिस्तान को अपना बचाव करने का पूरा हक है। यह पूरे इलाके के लिए एक साझा खतरा है। इसे हम बहुत गंभीरता से लेते हैं और निश्चित रूप से हमारे पाकिस्तानी साझेदार भी।’ प्राइस ने कहा कि पाकिस्तान अपने हित में आत्मरक्षा के अधिकार के तहत कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक करीबी साझेदार और एक करीबी सुरक्षा साझेदार है। प्राइस ने कहा, ‘साझा खतरों से निपटने के लिए हम साथ काम करते हैं लेकिन पाकिस्तान की किसी योजना के बारे में मैं बात नहीं कर सकता।’

तालिबान और पाकिस्तान में हो सकता है टकराव
अमेरिका का यह बयान बताता है कि आने वाले दिनों में वह पाकिस्तान को अफगानिस्तान की सरजमीं से आतंकवाद का खात्मा करने के लिए मदद दे सकता है। जाहिर सी बात है कि पाकिस्तान अगर अफगानिस्तान की धरती पर किसी तरह की दखलअंदाजी करेगा तो यह तालिबान को रास नहीं आएगा। ऐसे में पाकिस्तान और तालिबान के बीच टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में तालिबान पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।

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Image Source : AP
तालिबान के नेता अहमद यासिर ने यह तस्वीर ट्वीट की थी।

1971 की जंग को लेकर तंज कस चुका है तालिबान
बता दें कि तालिबान के नेता अहमद यासिर ने पिछले दिनों पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के एक बयान पर पलटवार करते हुए उन्हें भारत के साथ 1971 में हुई जंग की याद दिलाई थी। दरअसल, 1971 की जंग के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे और माना जा रहा है कि यासिर का इशारा पाकिस्तान के पश्तून इलाकों को लेकर था, जहां के तालिबान के लिए अच्छा-खासा समर्थन है। माना जाता है कि जंग की सूरत में पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्सों में बसे पश्तून तालिबान का साथ दे सकते हैं।

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