Saturday, April 27, 2024
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Explainer: ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े नियम और कानून क्या हैं; किस अंग की सबसे ज्यादा है डिमांड?

ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक ऐसी मेडिकल प्रक्रिया है, जिसके तहत किसी मरीज के खराब अंगों को डोनर के अंगों से बदल दिया जाता है और मरीज की जान बचाई जा सकती है। देश में लगातार ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले बढ़ रहे हैं और हजारों मरीजों ने इस मेडिकल सुविधा का लाभ उठाया है।

Rituraj Tripathi Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published on: December 06, 2023 13:56 IST
Organ Transplant, kidney transplant- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX ऑर्गन ट्रांसप्लांट ने अब तक हजारों लोगों की जान बचाई है

नई दिल्ली: ऑर्गन ट्रांसप्लांट यानी अंग प्रत्यारोपण मेडिकल फील्ड में एक चमत्कारी प्रक्रिया है। इसके माध्यम से ऐसे मरीजों का जीवन बचाया जाता है, जिनका कोई अंग खराब हो जाता है या काम करना बंद कर देता है। ऐसे में मरीज के शरीर से खराब अंग को बाहर निकालकर किसी डोनर का अंग उसे लगा दिया जाता है और मरीज का जीवन बच जाता है। देश में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और हजारों लोग इसका फायदा उठाकर एक बेहतर जिंदगी जी रहे हैं।

क्या-क्या ट्रांसप्लांट कर सकते हैं?

ट्रांसप्लांट करना एक तरह की सर्जरी होती है, जिसमें टिश्यू और ऑर्गन्स दोनों को ही ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। ऑर्गन्स में हार्ट, लंग, हार्ट-लंग, किडनी, लीवर, पैनक्रियाज, इंटेस्टाइन, थाइमस और यूट्रस शामिल है। इसके अलावा कुछ टिश्यू जैसे बोन्स, टेंडोंस, कॉर्निया, स्किन, हार्ट वॉल्वस और नसों को भी ट्रांसप्लांट किया जाता है।

सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट होता है ये अंग

दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट किडनी की जाती है। इसके बाद सबसे ज्यादा मामले लीवर और हार्ट ट्रांसप्लांट के आते हैं। वहीं आम तौर पर ट्रांसप्लांट किए जाने के मामले कॉर्निया और मस्कुलोस्केलेटल ग्राफ्ट (हड्डी और टेंडन) से संबंधित होते हैं। इनकी संख्या ऑर्गन ट्रांसप्लांट से दस गुना से भी ज्यादा होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑर्गन ट्रांसप्लांट की संख्या 2013 में 4990 थी, जो साल 2022 में बढ़कर 15,561 हो गई थी।

कौन हो सकता है ऑर्गन डोनर? 

ऑर्गन डोनर जीवित, ब्रेन डेड, या सर्कुलेटेड मौत वाले हो सकते हैं। उन डोनरों से टिश्यू लिए जा सकते हैं, जो सर्कुलेटेड मौत का सामना कर चुके हैं। अंगों को समय रहते मृत शरीर से निकालना होता है, जबकि कुछ टिश्यू को छोड़कर ज्यादातर टिश्यू 5 साल तक के लिए स्टोर किए जा सकते हैं। यानी उन्हें बैंक्ड किया जा सकता है। 

क्या है उम्र सीमा?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने फरवरी 2023 में ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने के लिए उम्र सीमा हटा दी थी। जिसके तहत 65 साल और उससे अधिक आयु के मरीज भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट कराने के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके अलावा सरकार ने निवास प्रमाण पत्र से संबंधित जरूरी शर्तों को हटाने संबंधी सिफारिश राज्यों से की थी, जिससे जरूरतमंद मरीज दूसरे राज्यों में भी ट्रांसप्लांट कराने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकें। 

ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़े नियम क्या हैं?

केंद्र सरकार ने National Human Organs and Tissues Removal & Storage Network की स्थापना की है, जिसे NOTTO नाम दिया गया है। इसकी फुल फॉर्म नेशनल ऑर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट संगठन है। NOTTO में 5 क्षेत्रीय नेटवर्क ROTTO (Regional Organ & Tissue Transplant Organization) होते हैं और देश के हर क्षेत्र में SOTTO (State Organ and Tissue Transplant Organisation) होते हैं।

ट्रांसप्लांट करने वाले हॉस्पिटलों को इस संगठन से जुड़ना अनिवार्य 

ट्रांसप्लांटेशन से जुड़ी किसी भी एक्टिविटी से संबंधित देश के हॉस्पिटलों को नेशनल नेटवर्किंग के एक पार्ट के रूप में ROTTO/SOTTO के माध्यम से NOTTO के साथ जुड़ना होता है। फिर चाहें ये हॉस्पिटल रिट्रीवल से संबंधित हों या फिर ट्रांसप्लांट से संबंधित हों। 

रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य

ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होता है। इसमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट रजिस्ट्री, ऑर्गन डोनेशन रजिस्ट्री, टिश्यू रजिस्ट्री और ऑर्गन डोनर Pledge रजिस्ट्री होती है। जिसके अलग-अलग नियमों का पालन करना होता है। 

कानून क्या कहता है?

ऑर्गन ट्रांसप्लांट को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के तहत कवर किया गया है, जिसमें जीवित और मृत मस्तिष्क दाताओं द्वारा अंग दान की अनुमति दी गई है। साल 2011 में अधिनियम में संशोधन के जरिए मानव टिश्यू के दान को इसमें शामिल किया गया है और इस प्रकार संशोधित अधिनियम को ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स एण्ड टिश्यू एक्ट 2011 कहा जाता है।

क्या लोग ऑर्गन खरीद और बेच सकते हैं?

लोग ऑर्गन को खरीद या बेच नहीं सकते हैं। मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA) के अनुसार, किसी ऑर्गन को किसी भी तरह से खरीदना या बेचना दंडनीय है। इसके लिए वित्तीय और न्यायिक दंड दिया जा सकता है। ऐसा केवल भारत में ही नहीं है बल्कि दुनिया के किसी भी हिस्से में किसी भी अंग की बिक्री की अनुमति नहीं है।

क्या गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी करा सकते हैं ऑर्गन ट्रांसप्लांट?

गरीबों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय अंग और प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम (NOTP) की शुरुआत की है। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले रोगियों को ट्रांसप्लांट के खर्च के अलावा एक साल तक की दवाओं का खर्च पूरा करने के लिए आर्थिक मदद की जाती है। इसके अलावा सभी सार्वजनिक हॉस्पिटलों में किडनी ट्रांसप्लांट कराने पर भारत सरकार की नीति के अनुसार सब्सिडी दी जाती है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़ी ज्यादा जानकारी कहां मिलेगी?

अगर आप ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़ी ज्यादा जानकारी पाना चाहते हैं तो आप नेशनल ऑर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट संगठन यानी NOTTO की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। NOTTO को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत स्थापित किया गया है।  NOTTO की डायरेक्ट वेबसाइट पर विजिट करने के लिए यहां क्लिक करें।

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