Friday, March 21, 2025
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Explainer: महामंडलेश्वर बनने के बाद क्या करेंगी ममता, कहां रहेंगी और क्यों चुना संन्यास का मार्ग? यहां जानिए सबकुछ

1990 के दशक की टॉप एक्ट्रेस रहीं ममता कुलकर्णी ने संन्यासी जीवन अपना कर सबको चौंका दिया है। अब वह ममता कुलकर्णी से श्री यामाई ममता नंद गिरी हो गई हैं। महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्होंने भगवा चोला भी पहन लिया है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Jan 26, 2025 18:06 IST, Updated : Jan 26, 2025 18:46 IST
एक्ट्रेस ममता...
Image Source : INDIA TV एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर

महाकुंभ मेले में संन्यास दीक्षा सैकड़ों लोग ले रहे हैं। एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने भी संन्यास दीक्षा ली है। किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर बनाया है। उन्हें नया नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी दिया गया है। कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि 24 घंटे में संन्यासी से महामंडलेश्वर का सफर ममता ने कैसे पूरा कर लिया? उन्होंने गुरु दीक्षा जूना अखाड़े से ली तो फिर महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़े से क्यों बनीं? ममता मध्यम मार्ग से धर्म का प्रचार करेंगी या राजनीति की सीढ़ी चढेंगी। हर सवाल का जवाब इस रिपोर्ट से समझिए।

शुक्रवार को पहुंची महाकुंभ मेला

1990 के दशक की टॉप एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी गुरुवार को महाकुंभ पहुंची थीं। शुक्रवार की सुबह किन्नर अखाड़ा की प्रमुख डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर संन्यास की इच्छा जताई। उसके बाद लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनकी मुलाकात अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी से कराई।

आश्रम में 7 घंटे की तपस्या

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की हरी झंडी मिलने के बाद ममता के संन्यास दीक्षा की तैयारी शुरु हुई। साधु संतों की देखरेख में उन्होंने रेती पर बने आश्रम में 7 घंटे तपस्या की। खुद का पिंडदान करने के लिए अपने हाथों से अखाड़े में ही पिंड बनाए। शाम को संगम तट पर अपना पिंडदान किया फिर गंगा की लहरों में डुबकी लगाई। 

2 घंटे तक आचार्य और पुरोहितों ने संन्यास की दीक्षा दी

इसके बाद किन्नर अखाड़े में उन्हें महामंडलेश्वर बनाने की दीक्षा पूरी की गई। 2 घंटे तक आचार्य और पुरोहितों ने उनकी संन्यास दीक्षा की। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंत और पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि की मौजूदगी में धार्मिक क्रियाएं हुईं।

किन्नर अखाड़े की प्रमुख ने घोषित किया महामंडलेश्वर 

ममता को विशेष मंत्रों से परिष्कृत रूद्राक्ष की माला पहनाई गई। लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ पुरोहितों ने उन्हें शंख से दुग्ध स्नान कराया। उन्हें भगवा वस्त्र पहनाए गए। अखाड़े की धर्मध्वजा के नीचे उनका पट्टाभिषेक किया गया। इस दौरान लगातार मंत्रोच्चार चलता रहा। उन्हें 15 मालाएं पहनाई गईं। उसके बाद ममता ने किन्नर और जूना अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लिया। इसके बाद किन्नर अखाड़े की प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें महामंडलेश्वर घोषित किया।

महामंडलेश्वर बनीं ममता

Image Source : INDIA TV
महामंडलेश्वर बनीं ममता

सनातन के लिए काम करने की ललक

किन्नर अखाड़े की संस्थापक डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, 'आज ममता जी जो अभिनेत्री रही हैं। वो किन्नर अखाड़े से आज उनके सारे संस्कार हुए संन्यास के और उनको पट्टाभिषेक किया गया और उनका नाम श्री यामाई ममता नंद गिरी रखा गया। पिछले दो ढाई साल से हमेशा हमारे साथ रही हैं। 23 साल तक तपस्या है। इनको सनातन धर्म से जुड़कर और सनातन के लिए काम करना था ललक थी। ये इनको चाहत थी। किन्नर अखाड़े ने सबको जोड़ा है जो भी सनातन के लिए काम करेगा और हमने श्री यामाई ममता नंद गिरी माता जी को भी हमारे साथ जोड़ लिया है।'

संन्यासी जीवन अपनाने के दौरान ममता के छलके आंसू

संन्यास दीक्षा के दौरान ममता कुलकर्णी कई बार भावुक हुईं। यादों में जिंदगी की पुरानी रील गुजरी तो आंखों से आंसू भी छलक आए। महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता छत्र और चंवर के साथ दिखीं और इस दौरान उन्होंने जनता को आशीर्वाद भी दिया। 

तीन दिन तक चला तपस्या का इम्तिहान- ममता

श्रीयामाई ममता नंद गिरि (ममता) ने बताया, 'मैंने 23 साल तप किया है मेरे गुरु श्री चैतन्य गुरु गगन नाथ ये भी जूना अखाड़े से ही हैं। मैं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से 2 साल से संपर्क में थी और उन्होंने मेरी 23 साल की तपस्या को समझा और जगदगुरु महेंद्र नाथ तिवारी ने मेरी परीक्षा ली तीन दिन से कि मुझे कितना ज्ञान, तप और ब्रह्मा विद्या के बारे में क्या जानकारी थी ये मुझे नहीं मालूम था कि तीन दिन से मेरी तपस्या का इम्तिहान चल रहा था मैं उसमें पूरी तरह उत्तीर्ण हो गई।' इसके साथ ही उन्होंने कहा मुझे कल से ही महामंडलेश्वर बनने का न्यौता मिला था।

संन्यास अपनाने के दौरान भावुक हुईं ममता कुलकर्णी

Image Source : INDIA TV
संन्यास अपनाने के दौरान भावुक हुईं ममता कुलकर्णी

ममता के धार्मिक गुरु चैतन्य गगन गिरि महाराज

बता दें कि ममता कुलकर्णी के धार्मिक गुरु चैतन्य गगन गिरि महाराज हैं। 23 साल पहले ममता ने उन्हीं के आश्रम में दीक्षा ली थी। महाराष्ट्र के रायगढ़ में गगन गिरि महाराज का आश्रम मुंबई से 80 किलोमीटर दूर है। ममता के गुरु का संबंध जूना अखाड़ा से है। ऐसे में ममता ने जूना अखाड़ा से महामंडलेश्वर की उपाधि लेने के बजाय किन्नर अखाड़े को क्यों चुना?  इसके पीछे ममता की पिछली जिंदगी हो सकती है। 

ममता पर अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन के थे आरोप

मालूम हो कि उन पर मुंबई में 2016 में ड्रग्स तस्करी का केस दर्ज हुआ था। नारकोटिक्स विभाग ने अरेस्ट वारंट भी जारी किया था। एक कंपनी के कंसाइनमेंट से 80 लाख की ड्रग्स पकड़ी गई थी जिसकी डाइरेक्टर ममता कुलकर्णी थीं। उनका संबंध ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से भी जोड़ा जाता है। विक्की गोस्वामी को ड्रग्स तस्करी के केस में दुबई में 12 साल की जेल हुई थी। अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन के आरोप भी ममता पर लगे थे। 

साल 2000 में ममता चली गईं थी देश से बाहर

ममता 2000 में देश से बाहर चली गई थीं और 2024 में वापस लौटीं। ऐसे में जूना अखाड़ा उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी नहीं दे सकता था। उनकी पहली शर्त संन्यासी ही महामंडलेश्वर बन सकता है। नदी किनारे मुंडन होता है फिर स्नान होता है। माता-पिता, बच्चों, पति का और खुद का पिंडदान करना होता है। जमाधन दान करना होता है। घर परिवार का त्याग करना होता है।

ममता ने इसलिए चुना किन्नर अखाड़ा

ममता ने सनातन धर्म की दीक्षा जरूर ली थी लेकिन संन्यास महाकुंभ में आकर लिया है। महामंडलेश्वर बनाने के लिए किन्नर अखाड़े के नियम थोड़ा उदार हैं। महामंडलेश्वर बनने के बाद भी घर-परिवार और काम धंधे से जुड़े रह सकते हैं। 13 अखाड़ों की तरह कठिन साधना नहीं करनी पड़ती है।

मध्यमपंथी रास्ते की हैं महामंडलेश्वर

श्रीयामाई ममता नंद गिरि ने कहा, 'देखिए तीन रास्ते होते हैं आध्यात्मिक जीवन के लिए एक वामपंथी, एक दक्षिणपंथी और एक मध्यमपंथी होता है और लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी इसी मध्यमपंथी रास्ते की महामंडलेश्वर हैं। 23 साल से जो ध्यान और तप मेरे गुरु द्वारा जो भी मुझे प्राप्त हुआ। मैं आध्यात्मिक जीवन द्वारा सबको स्वातंत्र्य करने आई हूं। मुझे लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से बेहतर कोई और संस्था मिली ही नहीं। मैं सोच ही नहीं सकती थी। मैं सांसारिक जीवन में रहते हुई भी चाहती थी कि मैं अपना स्वातंत्र्य जीवन जिऊं।'

ममता कुलकर्णी ने अपनाया संन्यासी जीवन

Image Source : INDIA TV
ममता कुलकर्णी ने अपनाया संन्यासी जीवन

साधु-संतों से मुलाकात के बाद ह्रदय परिवर्तन हुआ

ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को ही महामंडलेश्वर बनने की दीक्षा क्यों ली इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पहले वो गुरुवार को गंगा में डुबकी लगाने के बाद काशी विश्वनाथ दर्शन के लिए जाना चाहती थीं, लेकिन प्रयागराज में तभी उनकी मुलाकात तीन साधु-संतो से हुई और उनका ह्रदय परिवर्तन हो गया। वो महागौरी की पूजा करती हैं। लिहाजा शुक्रवार को उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा फैसला लिया। 

फरवरी के पहले हफ्ते तक प्रयागराज में रुकेंगी ममता

अब सवाल उठता है कि क्या ममता कुलकर्णी आगे हमेशा भगवा ड्रेस में ही दिखेंगी या महाकुंभ के बाद फिर चोला बदलेंगी। ममता फरवरी के पहले हफ्ते तक प्रयागराज में रुकेंगी। शिविर में रहकर कल्पवास करेंगी। साधु-संतों के साथ साधना करेंगी। महाकुंभ के बाद भगवा ड्रेस और नॉर्मल ड्रेस दोनों पहन सकती हैं। 

ममता ने बताया- उन्हें महाकाल ने दिए थे दर्शन

ममता कुलकर्णी विदेश में रहने के दौरान भी कठिन साधना करती रही हैं ऐसा उनका दावा है। करीब 2 महीने तक उन्होंने सिर्फ जल ग्रहण किया था और तप किया था। महामंडलेश्वर बनने के बाद उन्होंने दावा किया कि एक बार उन्हें महाकाल ने दर्शन दिए थे और प्रलय लीला दिखाई थी। ममता ने दीक्षा के बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देश अपने कर्मों की वजह से खुद नष्ट हो जाएंगे। धर्म की आड़ में अधर्म करने वालों को लौकिक और परलौकिक दोनों ही जीवन में कष्ठ उठाना पड़ेगा।

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