Wednesday, April 23, 2025
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Explainer: तमिलनाडु में DMK को हराने की क्या है बीजेपी की रणनीति, अन्नामलाई का क्या होगा? जानें सबकुछ

तमिलनाडु में डीएमके को हराने के लिए बीजेपी अभी से ही फूंक-फूंककर कदम उठा रही है। इसी क्रम में वह क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने के साथ ही गठबंधन की राजनीति को जोर दे रही है। बीजेपी इन अहम बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Apr 11, 2025 16:01 IST, Updated : Apr 11, 2025 16:57 IST
तमिलनाडु में DMK को...
Image Source : INDIA TV तमिलनाडु में DMK को हराने की क्या है बीजेपी की रणनीति?

तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने में करीब एक साल का वक्त बाकी है लेकिन सियासी बिसात अभी से बिछने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी के चाणक्य कहे जानेवाले अमित शाह तमिलनाडु के दौरे पर हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्तारूढ़ डीएमके को अगले विधानसभा चुनाव में मात देने के लिए पूरा जोर लगा रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई अपना पद छोड़ चुके हैं। पार्टी ने अब नए प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर एन नागेंद्रन को चुन लिया है। अन्नामलाई ने पहले कहा था कि वह इस पद की दौड़ में नहीं हैं। अब माना जा रहा है कि उन्हें केंद्र में पार्टी कोई बड़ी भूमिका सौंप सकती है।

AIADMK की शर्तों के चलते अन्नामलाई को पद छोड़ना पड़ा!

अन्नामलाई के प्रदेश अध्यक्ष छोड़ने की दो वजहें सामने आ रही हैं। पहली वजह ये रही कि एआईएडीएमके ने उनके हटने की स्थिति में ही गठबंधन करने की शर्त रखी। दूसरी वजह ये है  कि एआईएडीएमके नेता पलानीस्वामी भी उसी गौंडर जाति से हैं, जिससे अन्नामलाई हैं। ऐसे में दोनों घटक दलों के नेता एक जाति से होने से सोशल इंजीनियरिंग पर असर पड़ता। इसलिए पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने का निर्णय लिया।

 लोकसभा चुनावों में मिले झटके के बाद बीजेपी ने फिर एक बार राज्य में AIADMK के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। 2024 के लोकसभा चुनावों में तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत लगभग 11.24% रहा। जबकि AIADMK गठबंधन का वोट प्रतिशत लगभग 20.46% रहा। वहीं डीएमके को अकेले 26.93% वोट मिले। इससे बीजेपी नेतृत्व ने यह फैसला लिया कि डीएमके का अगर मुकाबला करना है तो AIADMK के साथ गठबंधन करना एक सही कदम होगा।

तमिलनाडु में भाजपा की रणनीति।

Image Source : INDIA TV
तमिलनाडु में भाजपा की रणनीति।

राज्य में एम के स्टालिन की अगुवाई वाली DMK का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। भाजपा और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की अटकलें तब शुरू हुईं जब अमित शाह ने पिछले महीने नई दिल्ली में अचानक एक बैठक में एआईएडीएमके महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी (ईपीएस) के साथ चर्चा की थी।

तमिलनाडु में डीएमके को हराने के लिए बीजेपी अभी से ही फूंक-फूंककर कदम उठा रही है। इसी क्रम वह क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने के साथ ही गठबंधन की राजनीति जोर दे रही है। बीजेपी इन अहम बिंदुओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।

गठबंधन के साथी की तलाश

बीजेपी तमिलनाडु में फिलहाल ऐसी स्थिति में नहीं है कि अगले चुनाव तक वह इस राज्य की राजनीति में अपने दम पर बहुत बेहतर प्रदर्शन कर सके । इसलिए वह क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन पर जोर दे रही है। हाल के वर्षों में बीजेपी की ओर AIADMK के साथ संबंधों को फिर से जोड़ने की कोशिश की गई है। क्योंकि दोनों का संयुक्त वोट शेयर डीएमके को चुनौती दे सकता है। बीजेपी छोटे दलों जैसे पीएमके और टीएमसी जैसे क्षेत्रीय प्रभाव वाले दलों को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है ताकि विभिन्न जातिगत समूहों का उसे समर्थन मिल सके।

वोट शेयर बढ़ाने पर ध्यान

बीजेपी का लक्ष्य उन क्षेत्रों में अपना वोट प्रतिशत बढ़ाना है जहां वह पहले कमजोर रही है। हालांकि पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पना वोट शेयर 3.5% से बढ़ाकर 11.2% किया, जो एक अच्छी शुरुआत है। बीजेपी का उद्देश्य डीएमके और AIADMK के बीच वोटों का बंटवारा रोकना और खुद को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश करना है। AIADMK के साथ गठबंधन करके बीजेपी डीएमके को मात देना चाहती है।

स्थानीय मुद्दों का उपयोग

बीजेपी स्थानीय असंतोष को भुनाने की कोशिश करती है। उदाहरण के लिए, वह डीएमके सरकार पर भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था में कमी (जैसे अन्ना यूनिवर्सिटी में हाल की घटनाएँ), और केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव जैसे मुद्दों पर हमला करती है। पार्टी कच्छतीवु जैसे भावनात्मक मुद्दों को भी उठाती है ताकि तमिल गौरव से जुड़े मतदाताओं को आकर्षित किया जा सके।

युवा और शहरी मतदाताओं पर फोकस

बीजेपी ने अन्ना मलाई के नेतृत्व में युवा और शहरी मतदाताओं को अपने साथ लेने की कोशिश की है है। अन्नामलई की आक्रामक शैली और सोशल मीडिया की मजबूत उपस्थिति ने पार्टी को नए वर्गों, खासकर पहली बार वोट देने वालों के बीच एक पहचान दी है। चेन्नई, कोयंबटूर और कन्याकुमारी जैसे क्षेत्रों में पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है, जो इस रणनीति का हिस्सा है।

केंद्र की योजनाओं का प्रचार

बीजेपी केंद्र सरकार की योजनाओं, जैसे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देकर निचले तबके और ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश करती है। इसका मकसद डीएमके के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाना है। डीएमके का पारंपरिक वोट सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर उसके साथ मजबूती से जुड़ा रहा है।

जातिगत समीकरणों का प्रबंधन

तमिलनाडु में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है। बीजेपी वन्नियार, थेवर जैसे प्रभावशाली समुदायों को अपने पक्ष में करने की कोशिश करती है। गठबंधन के जरिए या स्थानीय नेताओं को आगे बढ़ाकर, पार्टी इन समुदायों के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश करती है।

डीएमके के खिलाफ वैचारिक हमला

बीजेपी डीएमके के द्रविड़ विचारधारा को "हिंदू विरोधी" बताकर ध्रुवीकरण की कोशिश करती है। हालांकि, यह रणनीति तमिलनाडु बहुत सफल नहीं हो पाती है। फिर भी, पार्टी इसे कुछ क्षेत्रों में आजमाती है। 

बीजेपी 2026 के विधानसभा चुनाव को एक बड़े अवसर के रूप में देखती है। वह डीएमके विरोधी वोटों को एकजुट करने के लिए AIADMK और अन्य दलों के साथ गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। साथ ही, पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि तमिलगा वेट्री कड़गम (TVK) जैसे नए खिलाड़ी डीएमके विरोधी वोटों को और न बांटें।

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