
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस समय महाकुंभ मेला चल रहा है। देश विदेश से रोज करोड़ों लोग महाकुंभ जा रहे हैं। महाकुंभ सिर्फ सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक बड़ा आर्थिक प्रभाव भी है। यह 45 दिनों तक चलने वाली एक छोटी अर्थव्यवस्था है। यूपी सरकार का अनुमान है कि महाकुंभ मेले में 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच करीब 40 करोड़ लोग पहुंचेंगे। यह आयोजन इतना व्यापक है कि राज्य सरकार ने मेला क्षेत्र को एक नया जिला घोषित किया है।
महाकुंभ 2025 के लिए 7,721.5 करोड़ रुपये का है बजट
यूपी गवर्नमेंट ने इस महाकुंभ मेले के आयोजन की तैयारी बहुत पहले ही शुरू कर दी थी। वित्त वर्ष 2022-23 में इसके लिए 621.5 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। इसके बाद वित्त वर्ष 2023-2024 के बजट में महाकुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। इसके बाद वित्त वर्ष 2024-2025 के बजट में महाकुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया। केंद्र सरकार ने महाकुंभ के लिए 2100 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान भी दिया है। इस तरह महाकुंभ 2025 के लिए कुल 7,721.5 करोड़ रुपये आवंटित किये गए।
क्या है पॉप-अप इकोनॉमी?
महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश के लिए एक पॉप-अप इकोनॉमी की तरह काम कर रहा है। अब आप जानना चाहेंगे कि यह पॉप-अप इकोनॉमी क्या होती है। पॉप-अप का अर्थ छोटी अवधि में सामने आने वाले खुदरा बिक्री केंद्रों से हैं। महाकुंभ से जुड़ी कई आर्थिक गतिविधियां हैं। 45 दिनों तक चलने वाला यह महाकुंभ अपने आप में एक छोटी अर्थव्यवस्था है। इसे पॉप-अप इकोनॉमी भी कहा जाता है। डेलावेयर वैली रीजनल प्लानिंग कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, पॉप-अप इकोनॉमी पॉप-अप दुकानों, पॉप-अप इवेंट और पॉप-अप प्लानिंग में से किसी एक के रूप में सामने आती है। सरल शब्दों में कहें, तो जब कोई ऐसा आयोजन होता है, जिसके कारण कुछ समय के लिए आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होता है और मांग में इजाफा होता है, तो इसे पॉप-अप इकोनॉमी कहा जाता है।
महाकुंभ क्यों है पॉप-अप इकोनॉमी?
45 दिनों के इस महाकुंभ मेले में भारी-भरकम ट्रेड हो रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, महाकुंभ से 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रेड होने का अनुमान है। इस आयोजन से रेलवे, एयर ट्रांसपोर्ट और सड़क परिवहन सेक्टर को भारी इनकम हो रही है। अगर महाकुंभ में प्रति व्यक्ति औसत खर्च 5000 रुपये होता है, तो कुल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का ट्रेड होगा। यह खर्च ट्रैवल, होटल, गेस्ट हाउस, अस्थायी निवास, फूड, हेल्थकेयर, धार्मिक सामग्री और दूसरी चीजों पर हो रहा है।