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बॉलीवुड को यूं ही ‘मायानगरी’ नहीं कहा जाता, यहां किस्मत हर पल करवट लेती है। कोई रातोंरात सुपरस्टार बन जाता है तो कोई चमकते करियर के बाद गुमनामी के अंधेरे में खो जाता है। कुछ सितारे अपने संघर्षों के बाद फिर से उभरते हैं, जबकि कुछ को ताउम्र वापसी का मौका नहीं मिलता। आज हम आपको ऐसे ही एक अभिनेता की कहानी सुना रहे हैं, जिसने 90 के दशक में खूब नाम कमाया, लेकिन अंत में अकेलेपन और तिरस्कार के बीच दम तोड़ दिया।
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यह कहानी है अभिनेता महेश आनंद की। महेश आनंद एक दौर में हिंदी फिल्मों के सबसे चर्चित खलनायकों में गिने जाते थे। वह एक प्रशिक्षित मार्शल आर्टिस्ट और शानदार डांसर थे। 1984 में कमल हासन और रीना रॉय की फिल्म ‘करिश्मा’ से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और फिर देखते ही देखते वह 'शहंशाह', 'तूफान', 'अजूबा', 'स्वर्ग', 'क्रांतिवीर', 'कुली नंबर 1', 'वक्त हमारा है' जैसी कई हिट फिल्मों का हिस्सा बने।
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उन्होंने अमिताभ बच्चन, गोविंदा, अक्षय कुमार, संजय दत्त और सुनील शेट्टी जैसे दिग्गजों के साथ स्क्रीन शेयर की। 2000 के बाद उनका करियर अचानक गिरावट की ओर जाने लगा। एक फिल्म के सेट पर स्टंट करते समय उन्हें गंभीर चोट लगी, जिसके चलते उन्हें छह महीने अस्पताल में रहना पड़ा और फिर तीन साल तक बिस्तर पर। इस दौरान उनके पास काम नहीं था, और फिल्म इंडस्ट्री से धीरे-धीरे उनका नाम मिटता चला गया।
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करियर खत्म होने के बाद महेश आनंद को 18 साल तक किसी फिल्म में काम नहीं मिला। सोशल मीडिया पर उन्होंने खुद अपनी हालत बयां करते हुए लिखा था, 'मैंने 300 से ज्यादा फिल्में की हैं, लेकिन अब मेरे पास पीने के पानी के लिए भी पैसे नहीं हैं। मेरे दोस्त मुझे शराबी कहते हैं। मेरा कोई परिवार नहीं है। मेरे सौतेले भाई ने 6 करोड़ ठग लिए। इस दुनिया में मेरा एक भी दोस्त नहीं है।'
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उनकी ये बात सुनकर किसी का भी दिल पिघल सकता है। महेश आनंद का निजी जीवन भी काफी उथल-पुथल भरा रहा। उन्होंने पांच बार शादी की, लेकिन कोई भी रिश्ता लंबा नहीं चला। पहली पत्नी थीं रीना रॉय की बहन बरखा रॉय, दूसरी शादी हुई मिस इंडिया इंटरनेशनल एरिका मारिया डिसूजा से जिनसे उनका एक बेटा त्रिशूल है।
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महेश आनंद की तीसरी पत्नी थीं अभिनेत्री मधु मल्होत्रा, चौथी बार शादी की टीवी एक्ट्रेस उषा बच्चानी से और पांचवी पत्नी थीं एक रूसी महिला लाना। दुर्भाग्यवश, इन सभी रिश्तों ने उन्हें अंत में अकेलापन ही दिया। महेश आनंद अपनी आखिरी सांस तक अपने बेटे त्रिशूल को गले लगाना चाहते थे, लेकिन यह ख्वाहिश अधूरी रह गई। 9 फरवरी 2019 को वे अपने मुंबई स्थित घर में मृत पाए गए।
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पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार उनका शव तीन दिनों तक घर में ही पड़ा रहा था, जिससे वह सड़ने लगा था। जब किसी ने खबर दी, तब उनकी पांचवीं पत्नी रूस से भारत आईं और उनका अंतिम संस्कार किया। महेश आनंद की कहानी एक दर्दनाक हकीकत है, जो दिखाती है कि शोहरत की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद भी इंसान अगर अकेला रह जाए तो उसकी जिंदगी कितनी त्रासदीपूर्ण हो सकती है। उनका जीवन एक सबक है कि सफलता और नाम के पीछे भागते इस जगत में रिश्तों की अहमियत सबसे ऊपर है।