Monday, April 29, 2024
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पीएमओ के लिए कैसे कोरोना मुहिम की 'ग्राउंड रिपोर्टिंग' में जुटे हैं पीएम मोदी के मंत्री?

मोदी सरकार के सभी केंद्रीय मंत्री कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई की मानीटरिंग करने में जुटे हैं। हर रात पूरे दिन में जुटाई गई ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को जाती है।

IANS Written by: IANS
Published on: April 11, 2020 18:18 IST
PM Modi- India TV Hindi
Image Source : FILE PM Narendra Modi

नई दिल्ली| केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय पर उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, एटा, इटावा सहित 20 जिलों में कोरोना के खिलाफ चल रहे अभियान की निगरानी करने की जिम्मेदारी है। बीते 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले इस टास्क के बाद से पांडेय की दिनचर्या कुछ बदल सी गई है। अब वह कौशल विकास मंत्रालय की जिम्मेदारियों के साथ हर दिन सुबह से लेकर शाम तक इन जिलों की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

उनकी टीम से जुड़े सहयोगियों ने IANS को बताया, "डीएम, एसएसपी से लेकर सीएमओ से जहां कोरोना के केसेज के साथ प्रशासनिक और स्वास्थ्य इंतजामों की हर रोज जानकारी लेते हैं, वहीं केंद्र सरकार से जारी राहत पैकेज का लाभ गांव के लोगों को मिल रहा है या नहीं, इसको लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं का भी फोन घनघनाकर जमीनी सच जानते हैं।"

अल्पसंख्यक कार्यो के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी झारखंड के मोर्चे पर लगाए गए हैं। झारखंड में अब तक कोविड-19 के 17 मरीज मिले हैं। अकेले रांची में कोरोना संक्रमितों की संख्या 8 पहुंच चुकी है। हजारीबाग और कोडरमा जिले में भी मरीज मिले हैं। ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी इन जिलों के प्रशासनिक और स्वास्थ्य अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जन को भी फोन कर राहत व्यवस्थाओं की सच्चाई मालूम करते हैं।

इसी तरह से मोदी सरकार के सभी केंद्रीय मंत्री कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई की मानीटरिंग करने में जुटे हैं। हर रात पूरे दिन में जुटाई गई ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को जाती है। कई दफा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय मंत्रियों को फोन कर मौखिक रूप से भी रिपोर्ट लेते हैं। इस दौरान उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश भी देते हैं।

पीएमओ सूत्रों का कहना है कि जिम्मेदारियां तो सभी केंद्रीय मंत्रियों को 26 मार्च को ही मिल गईं थीं। लेकिन काम में तेजी बीते छह अप्रैल से दिख रही है, जब प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय मंत्रियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए खुद उनकी भूमिका समझाई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने सहयोगी मंत्रियों को कोविड-19 के हॉटस्पाट वाले जिलों के अफसरों से संवाद बढ़ाने पर जोर दिया था। मंत्रियों से कहा था कि वे न केवल अफसरों से बातकर उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दें बल्कि कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई की जमीनी स्थिति को भी जानें। जिलों में पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट(पीपीई) किट, राशन, दवा, मानव संसाधन आदि की जरूरत हो तो उसका तत्काल समाधान ढूंढें। बीते 26 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यों के लिए कई केंद्रीय मंत्रियों की जिम्मेदारी लगाई थी।

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में राजनाथ सिंह, महेंद्र नाथ पांडेय, संजीव बालियान, कृष्णपाल गुर्जर जैसे चार केंद्रीय मंत्रियों को मोर्चे पर लगाया गया है। असम की निगरानी जनरल वीके सिंह कर रहे हैं तो ओडिशा को धर्मेंद्र प्रधान देख रहे हैं। इसी तरह अर्जुन मुंडा के हवाले छत्तीसगढ़ है तो राजस्थान और पंजाब के जिलों की मानीटरिंग गजेंद्र सिंह शेखावत कर रहे हैं। बिहार के हालात पर रविशंकर प्रसाद और राम विलास पासवान मिलकर नजर रख रहे हैं।

इन बिंदुओं पर डेली रिपोर्ट दे रहे मंत्री

पीएमओ से केंद्रीय मंत्रियों को हर रोज रिपोर्ट देने के लिए कुछ बिंदु सुझाए गए हैं। मसलन, संबंधित जिले या प्रदेश में हर रोज कितने लोगों की जांच हुई, कितने नए मामले आए, कुल कितने कोविड-19 पॉजिटिव लोग हैं। कितने गरीबों को गेहूं, चावल और दाल मिला। राशन देने वाले सार्वजनिक वितरण केंद्रों(पीडीएस) पर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन हो रहा है या नहीं। किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये सही से पहुंच रहे हैं या नहीं। आम जन से लेकर डॉक्टर, नर्स व सरकारी मुलाजिमों की शिकायतें समय रहते दूर हो रहीं हैं या नहीं।

राशन आदि दैनिक जरूरत के सामानों की कहीं कालाबाजारी तो नहीं हो रही है। अगर जिलों में ऐसा हो रहा है तो क्या कार्रवाई हुई। कोरोना के खिलाफ मुहिम में लापरवाही बरतने वालों पर क्या कार्रवाई हुई। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले कितने लोगों पर कार्रवाई हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय मंत्रियों से कहा है कि उनकी जिम्मेदारी वाले प्रदेशों और जिलों में राशन, फल, दूध सब वाजिब कीमत पर जनता को उपलब्ध होना चाहिए। एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज जरूरतमंदों को मिल रहा है या नहीं, इसकी जमीनी सच्चाई जानने के लिए केंद्रीय मंत्रियों को खासतौर से पीएमओ से निर्देश हैं। जिम्मेदारी वाले जिलों और प्रदेश में आवश्यक सामानों की मांग और पूर्ति के संतुलन पर नजर भी मंत्री रख रहे हैं।

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