Wednesday, April 24, 2024
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राम मंदिर प्राथमिकता में नहीं होने की शीर्ष अदालत की टिप्पणी से हिंदू "अपमानित" हुए: संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी से हिंदू "अपमानित" महसूस कर रहे हैं कि अयोध्या का मुद्दा प्राथमिकता वाला नहीं है। संघ ने जोर देते हुए कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर कोई विकल्प नहीं रहा तो अध्यादेश लाना जरूरी होगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 03, 2018 22:54 IST
Hindus feeling 'insulted' by SC, won't hesitate to launch agitation for Ram temple: RSS- India TV Hindi
Hindus feeling 'insulted' by SC, won't hesitate to launch agitation for Ram temple: RSS

उत्तन (महाराष्ट्र): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की इस टिप्पणी से हिंदू "अपमानित" महसूस कर रहे हैं कि अयोध्या का मुद्दा प्राथमिकता वाला नहीं है। संघ ने जोर देते हुए कहा कि राम मंदिर के मुद्दे पर कोई विकल्प नहीं रहा तो अध्यादेश लाना जरूरी होगा। संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा "अगर जरूरत पड़ी तो आरएसएस राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू करने में भी नहीं हिचकेगा, लेकिन मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने की वजह से कुछ सीमाएं हैं।" उन्होंने यह बात तब कही जब पूछा गया कि था कि क्या संघ राम मंदिर निर्माण के लिए 1990 के दशक जैसा आंदोलन शुरू करेगा। जोशी ने यह भी कहा कि संघ अयोध्या में राम मंदिर के लिए 30 साल से आंदोलन कर रहा है। इस बीच भाजपा की सहयोगी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर संघ को लगता है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन शुरू करने की जरूरत है तो उसे नरेंद्र मोदी सरकार को गिरा देना चाहिए। 

अमित शाह, मोहन भागवत की राम मंदिर पर चर्चा

ठाणे जिले के उत्तन में संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर जोशी ने कहा कि संघ इसके लिए सरकार पर "कोई दबाव नहीं बना रहा क्योंकि हम कानून और संविधान का सम्मान करते हैं।" जोशी ने बताया कि आज सुबह यहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की जिसमें अनेक मुद्दों के साथ राम मंदिर के विषय पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा, ‘‘हम उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखा जाए।’’ संघ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘अदालत के फैसले का इंतजार लंबा हो गया है। चूंकि मामला 29 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, तो हमें लगा कि हिंदुओं को दिवाली से पहले खुशखबरी मिल जाएगी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई टाल दी।’’ उच्चतम न्यायालय ने 29 अक्टूबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुनवाई जनवरी, 2019 के पहले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। एक उचित पीठ सुनवाई का कार्यक्रम तय करेगी। 

न्यायाधीशों ने कहा- हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं

जब सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वकील सी एस वैद्यनाथन ने क्रमश: उत्तर प्रदेश सरकार और रामलला की ओर पक्ष रखते हुए मामले में अपीलों पर जल्द सुनवाई की मांग की तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, ‘‘हमारी अपनी प्राथमिकताएं हैं। मामले में सुनवाई जनवरी में होगी, फरवरी में होगी या मार्च में होगी, यह उचित पीठ तय करेगी।’’ संघ पदाधिकारी जोशी ने कहा कि इतने लंबे समय से लंबित मुद्दे पर अदालत के फैसले का इंतजार भी लंबा हो गया है। उन्होंने कहा कि यह दुख और पीड़ा का विषय है कि जिसे हिंदू अपनी आस्था मानते हैं और जिससे उनकी भावनाएं जुड़ी हैं वह अदालत की प्राथमिकता सूची में नहीं है। 

हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखते फैसला सुनाए

जोशी ने कहा कि संघ अपेक्षा करता है कि अदालत हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर फैसला सुनाए। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिर निर्माण का रास्ता निकालने के लिए कानूनी मंजूरी जरूरी है। राम मंदिर के जल्द निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की संघ परिवार के अनेक संगठनों की मांग के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि यह सही है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर और विकल्प नहीं बचते तो सरकार को इस विकल्प पर विचार करना चाहिए। यह सरकार पर निर्भर है।’’ हालांकि उसी समय उन्होंने यह भी कहा कि "जब तक उच्चतम न्यायालय मालिकाना हक पर निर्णय नहीं सुनाता तब तक सरकार के लिए कोई फैसला करना मुश्किल होगा।" 

उद्धव ठाकरे इस महीने के अंत में अयोध्या जाएंगे

मुंबई में उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी सरकार ने संघ के पूरे एजेंडे को दरकिनार कर दिया है। वह राम मंदिर के समर्थन में इस महीने के अंत में अयोध्या जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आरएसएस के हिंदुत्व पर सवाल उठाये जाने के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। सबरीमला विवाद पर जोशी ने कहा कि संघ मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की मांग का समर्थन करता है। हिंदू धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव का हम समर्थन नहीं करते, लेकिन कुछ मंदिरों की अपनी सीमाएं हैं और लोग सोच सकते हैं कि यह उनके अधिकारों के खिलाफ है। लेकिन लोगों को मंदिर के नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि लोगों की आस्था सर्वोपरि है।’’

संवैधानिक तरीके से हो राम मंदिर का निर्माण

केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने राम मंदिर को करोड़ों लोगों की आस्थाओं का प्रतीक बताया और कहा कि संवैधानिक तरीके से अदालत के आदेश, कानून बनाकर या बातचीत के जरिये मंदिर निर्माण होना चाहिए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने अपने बयान में कहा, ‘‘देश के करोड़ों लोग चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण हो। अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, तब प्रयास हुए थे कि दोनों पक्षों में बातचीत से मंदिर का निर्माण हो। इस बारे में बात आगे बढी भी थी।’’ उन्होंने कहा कि लम्बे समय से यह मामला अदालत में लंबित है और इसके कारण इस दिशा में ठोस काम नहीं हो सका है। गोयल ने कहा कि संवैधानिक तरीके से अदालत के आदेश, कानून बनाकर या बातचीत के जरिये मंदिर निर्माण होना चाहिए। विजय गोयल ने एक हैशटैग ‘इस दिवाली जलाओ एक दिया राम के नाम’ जारी किया। उन्होंने बताया कि यह अभियान तीन से सात नवंबर तक चलेगा और इसकी शुरूआत 5000 दीये जलाकर कर की जायेगी।

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