Sunday, April 28, 2024
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गोबर के लेप से भी संभव है कैंसर का इलाज, जानें कैसे....

यह हॉस्पिटल देसी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही, घी और जड़ी-बूटियों से कैंसर का इलाज पिछले डेढ़ साल से करता आया है। इसी हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट वैध भरत देव मुरारी ने कहा कि कैंसर भले ही शरीर में दिखाई देता हो लेकिन यह रोग मन में भी होता हैं,

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: June 17, 2017 12:59 IST
cancer treatment- India TV Hindi
cancer treatment

नई दिल्ली: नई दिल्ली स्थित पंजाबी बाग इलाके के एक आयूर्वेदिक हॉस्पिटल का दावा है कि गोबर के लेप से भी कैंसर के मरीज़ो की स्थिती को ठीक किया जा सकता है। करीब डेढ़ साल से चल रहें इस 'गौधाम आयूर्वेदिक कैंसर ट्रीटमेंट एंड रिसर्च' हॉस्पिटल का यह भी कहना है कि जड़ी-बुटियों के साथ गोबर के लेप और तुलसी के पानी से भी कैंसर कम किया जा सकता है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...

यह हॉस्पिटल देसी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही, घी और जड़ी-बूटियों से कैंसर का इलाज पिछले डेढ़ साल से करता आया है। इसी हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट वैध भरत देव मुरारी ने कहा कि कैंसर भले ही शरीर में दिखाई देता हो लेकिन यह रोग मन में भी होता हैं, जिस कारण इसका इलाज करना और भी ज़्यादा आवश्यक है। उन्होनें बताया कि यह कोई चमत्कारी दवा नहीं बल्कि पंचगव्य है, अर्थात देसी गाय का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी है। जो कैंसर में अत्यन्त लाभकारी है, और साथ ही इन दवाईयों में गाय का मूत्र और गोबर अहम योगदान रखते हैं।

वह ये भी दावा करते हैं कि अगर मरीज़ समय रहते इलाज के लिए आ जाए तो उसका कैंसर पूरी तरह से रूक भी सकता है। मरीज़ को हॉस्पिटल में 11 से 21 दिनों तक रखा जाता है। जिस दौरान उसका एक रुटीन सेट कर दिया जाता है, जिसमें वह सुबह के योग के साथ पंचगव्य निश्चित मात्रा में पीता है। और फिर उसके खाने में भी बदलाव कर उसे जड़ी-बूटी के साथ जौं की रोटी और हरी सब्ज़ी भी दी जाती है।

डॉ. मूरारी का कहना है कि आयूर्वेद में कहीं कैंसर का नाम नहीं है, वह इसे गांठ कहते है। मरीज़ की इसी गांठ पर सुबह-शाम लेप लगाया जाता है, जिस पर सूरज की किरणों का पड़ना आवश्यक होता है। हालांकि इस ट्रीटमेंट पर अभी तक कोई रिसर्च नहीं हुई है, और ना ही मरीज़ो का कोई टेस्ट हुआ है। यहां के वैध स्वयं रिसर्च की मांग कर रहे है। अस्तपताल चलाने वाली ट्रस्ट ने बताया कि उन्होनें पंचगव्य पर रिसर्च को लेकर पहले ही आयुष मंत्रालय को पत्र लिख दिया है।

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