Friday, April 26, 2024
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बिहार: न्यूजीलैंड से गया आकर कुत्ते का किया पिंडदान, अस्थियां गंगा में विसर्जित कीं

बिहार के पूर्णिया के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने पालतू कुत्ते की मौत के बाद न केवल गया आकर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया, बल्कि पटना में गंगा नदी में उसकी अस्थियां विसर्जित की।

IANS Reported by: IANS
Published on: February 19, 2020 21:15 IST
न्यूजीलैंड से गया आकर...- India TV Hindi
न्यूजीलैंड से गया आकर कुत्ते का किया पिंडदान

पटना: आज के दौर में जहां कई लोग अपने परिजनों को भूल जाते हैं, वहीं बिहार के पूर्णिया के रहने वाले एक व्यक्ति ने अपने पालतू कुत्ते की मौत के बाद न केवल गया आकर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया, बल्कि पटना में गंगा नदी में उसकी अस्थियां विसर्जित की।

बिहार में पूर्णिया के मधुबनी मुहल्ले के रहने वाले प्रमोद चौहान का पशु प्रेम यहां के लोगों के लिए आज चर्चा का विषय बना हुआ है। पूर्णिया के रहने वाले प्रमोद कई सालों से न्यूजीलैंड में रहते हैं। प्रमोद ने न्यूजीलैंड में एक कुत्ता पाल रखा था, जिसका नाम लाइकन था। लाइकन उनके परिवार का 10 सालों से एक ऐसा सदस्य रहा, जिसका गुजरना प्रमोद चौहान और उनके परिवार को किसी परिजन के गुजरने जैसा अहसास कराया।

प्रमोद ने हिन्दू रीति के साथ वैसी ही परंपरा लाइकन के गुजर जाने के बाद निभाई, जो किसी परिजन के गुजर जाने के बाद परिवार वाले करते हैं। लाइकन के गुजरने के बाद पहले वहां हिन्दू रीति से उसे जलाया और उसकी अस्थियां लेकर भारत आए और पटना के पास बड़े ही मार्मिक अंदाज में उसे गंगा में प्रवाहित किया।

इतना ही नहीं वे मोक्षस्थली गया भी गए और लाइकन के मोक्ष के लिए पिंडदान और गया में श्राद्ध किया। प्रमोद अब लाइकन के श्राद्ध के तीस दिन बीतने का इंतजार कर रहे हैं और वह उस दिन अपने तमाम परिचितों और परिजनों के साथ भंडारा भी करेंगे। प्रमोद के इस पशुप्रेम के प्रसंग पर उनके परिचित प्रेमी काफी प्रसन्न हैं और पूर्णिया में जो भी उनकी यह कहानी सुन रहा है, वह उनकी इंसानियत को सलाम कर रहा है।

प्रमोद चौहान के मित्र समीर सिन्हा और इलाके के किसान हिमकर मिश्र कहते हैं कि प्रमोद चौहान के पशुप्रेम का यह प्रसंग अद्भुत तो है ही, मानवता के लिए प्रेरक भी है, साथ ही इंसान और पालतू पशुओं के बीच के प्रेम का प्रमाण और उदाहरण है। ऐसे में लोगों के बीच से प्रमोद की प्रशंसा होना स्वाभाविक भी है और जरूरी भी।

प्रमोद के बचपन के मित्र मिश्र कहते हैं, "प्रमोद बचपन से ही पशुप्रेमी रहे हैं। आज उनका यह प्रेम देखकर लोग भावुक हो जा रहे हैं। आज यह पशुप्रेम क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।"

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