Thursday, March 28, 2024
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National Farmers Day: किसान आंदोलन के बीच 'किसान दिवस', नहीं खाएंगे एक टाइम का खाना

इतिहास के पन्नों में 23 दिसंबर के दिन का संबंध तमाम उतार-चढ़ावों से है, लेकिन भारत में इस दिन को ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था...

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 23, 2020 8:51 IST
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नई दिल्ली: इतिहास के पन्नों में 23 दिसंबर के दिन का संबंध तमाम उतार-चढ़ावों से है, लेकिन भारत में इस दिन को ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

जानिए, क्यों इस साल अलग है ये ‘किसान दिवस’

वहीं, केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 28 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। एक तरफ आज पूरा देश ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मना रहा है तो दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन ने ऐलान किया है कि आज हम एक टाइम का खाना नहीं खाएंगे। किसान संगठनों ने लोगों से अनुरोध किया है कि वह आज दोपहर का भोजन न पकाएं।

इस साल किसान तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ मना रहे हैं। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान यूनियन आगे की बातचीत के लिए केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर फैसला आज लेंगे। आज सुबह 11 बजे सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर से बैठक होगी। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक भी होगी। ये बैठक सुबह 10.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शुरू होगी। इस बैठक में किसानों के मुद्दे पर भी चर्चा की संभावना है।

यूपी के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं चौधरी चरण सिंह

बता दें कि चौधरी चरण सिंह देश के ऐसे किसान नेता थे, जिन्होंने देश की संसद में किसानों के लिए आवाज बुलंद की थी। भारत के किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए चरण सिंह ने काफी काम किए थे और यही कारण है कि सरकार ने साल 2001 में उनके जन्मदिवस को ‘राष्‍ट्रीय किसान दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया।

चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे। उनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को पश्चिमी यूपी के हापुड़ में हुआ था। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से पढाई की और फिर गाजियाबाद में कुछ वक्त के लिए वकालत भी की। वे गांधी जी से काफी प्रभावित थे। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी बनाई और जब गांधी जी ने नमक बनाने के लिए डांडी मार्च निकाला तब चरण सिंह ने भी हिंडन में नमक कानून को तोड़ा। इसके लिए उन्हें छह महीने की जेल हुई लेकिन जेल से निकलते ही वह फिर से देश सेवा में लग गए।

प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री बनकर की देश की सेवा

चौधरी चरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किए। उनकी वजह से ही किसान सही मायनों में स्वतंत्र हो सका। उन्होंने जमींदारी उन्मूलन किया और किसानों के हित के लिए लेखपाल पद बनाया। बाद में वे उपप्रधानमंत्री बने और फिर प्रधानमंत्री बनकर देश की सेवा की।

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