Friday, April 19, 2024
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उपराष्ट्रपति की बुक रिलीज: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- वेंकैया जी ने जीवनभर किसानों के लिए काम किया

'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड: ए ईयर इन ऑफिस' के शीर्षक वाली 245 पृष्ठों की पुस्तक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा व मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के साथ अन्य की मौजूदगी में रविवार को विमोचन किया गया।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: September 02, 2018 14:03 IST
PM Modi, Venkaiah Naidu- India TV Hindi
Image Source : ANI PM Modi to release book on Venkaiah Naidu's year as Vice-President on Sunday

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एम. वेंकैया नायडू का एक साल पूरा होने पर उनकी किताब 'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड: ए ईयर इन ऑफिस' का विमोचन किया गया, जिसमें देश भर के विभिन्न हितधारकों के साथ मुख्य मुद्दों पर जुड़ाव के उनके मिशन और नया भारत बनाने के मिशन के साथ उनके सरेखण का विवरण है।

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'मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड: ए ईयर इन ऑफिस' के शीर्षक वाली 245 पृष्ठों की पुस्तक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा व मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के साथ अन्य की मौजूदगी में रविवार को विमोचन  किया।

लाइव अपडेट

​11:53 am: वेंकैया जी ने जीवनभर किसानों के लिए काम किया, उन्होनें हर काम जिम्मेदारी से किया: पीएम मोदी

11:50 am: वेंकैया जी ने टीम के साथ काम करना सिखाया, वो पदभार से ज्यादा कार्यभार पर जोर देते है: पीएम मोदी

11:45 am: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब का विमोचन

नायडू ने पुस्तक में कहा है कि पिछले साल 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद से उन्होंने चार मुख्य मुद्दों पर सार्वजनिक संवाद की तलाश और उसे आकार देने के उनके मिशन के लिए पूरे देश में काफी यात्रा की है। उपराष्ट्रपति के रूप में अपने अनुभव के बारे में बताते हुए नायडू ने पुस्तक में कहा कि यह कठिन चुनौतियों और असीमित अवसरों का समय है।

उन्होंने कहा, "यह एक ऐसा समय है जब देश आगे बढ़ रहा है व मुझे इस पद के साथ एक नई भूमिका में देश और इसके लोगों की सेवा करने के लिए गौरवान्वित महसूस हो रहा है। यह एक क्षण है जब देश को बदलने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति लोगों के साथ अनुनाद पा रही है.. स्पष्ट है अभी बहुत रास्ता तय करना बाकी है। हमें एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ना चाहिए। हमें दृढ़ता से आगे बढ़ना चाहिए।"

राज्यसभा के सभापति की अपनी भूमिका के बारे में नायडू ने कहा कि उनका सपना सार्थक बहस को सुविधाजनक बनाना है, जिसमें सदस्य अपने सीखों और विचारों को व्यक्त कर सकें। सभापति ने सदन के पहले दो सत्रों को लेकर अपनी निराशा जताई। पुस्तक में बतौर राज्यसभा सभापति द्वारा लिए गए उनके विभिन्न पहलों का भी एक विस्तृत पाठ है। साथ ही राज्यसभा टीवी की तेजी से बढ़ती दर्शकों की संख्या का भी जिक्र किया गया है।

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