Saturday, April 20, 2024
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हिंदुओं को मिले मंदिरों की कमान, संपत्ति का उपयोग सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए हो: भागवत

भागवत ने सरकार द्वारा संचालित माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 15, 2021 19:43 IST
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Image Source : PTI राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने देश में कुछ मंदिरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने देश में कुछ मंदिरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि ऐसी संस्थाओं के संचालन के अधिकार हिंदुओं को सौंपे जाने चाहिए और इनकी संपत्ति का उपयोग केवल हिंदू समुदाय के कल्याणार्थ किया जाना चाहिए। नागपुर के रेशमीबाह में वार्षिक विजयदशमी उत्सव में उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के मंदिरों पर पूरी तरह राज्य सरकार का नियंत्रण है जबकि देश में कुछ हिस्सों में मंदिरों का प्रबंधन सरकार व कुछ अन्य का श्रद्धालुओं के हाथ में है।

‘कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है’

भागवत ने सरकार द्वारा संचालित माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में स्थित गजानन महाराज मंदिर, दिल्ली में झंडेवाला मंदिर, जो भक्तों द्वारा संचालित हैं, को भी बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। भागवत ने कहा, ‘लेकिन उन मंदिरों में लूट है जहां उनका संचालन प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है। जहां ऐसी चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं, वहां एक लूट मची हुई है। कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हैं।’

‘इस पर उचित ढंग से निर्णय लिया जाना चाहिए’
भागवत ने कहा, ‘हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जाता है, जिनकी हिंदू भगवानों में कोई आस्था नहीं है। हिंदुओं को भी इसकी जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।’ उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन को लेकर उच्चतम न्यायालय के कुछ आदेश हैं। साथ ही कहा, ‘शीर्ष अदालत ने कहा कि ईश्वर के अलावा कोई भी मंदिर का स्वामी नहीं हो सकता। पुजारी केवल प्रबंधक है। इसने यह भी कहा कि सरकार प्रबंधन उद्देश्यों से इसका नियंत्रण ले सकती है लेकिन कुछ समय के लिए। लेकिन उसे स्वामित्व लौटाना होगा। इसलिए इस पर उचित ढंग से निर्णय लिया जाना चाहिए।’

‘सभी भक्त कर सकें मंदिर में भगवान के दर्शन’
RSS प्रमुख ने कहा, ‘और इस संबंध में भी फैसला लिया जाना चाहिए कि हिंदू समाज इन मंदिरों की देख-रेख कैसे करेगा।’ RSS द्वारा साझा किए गए लिखित भाषण में, भागवत ने कहा कि जाति और पंथ के बावजूद सभी भक्तों के लिए मंदिर में भगवान के दर्शन, उनकी पूजा के लिए गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच और अवसर भी हर जगह अमल में नहीं लाए जाते, लेकिन इन्हें (गैर भेदभाव पूर्ण पहुंच और अवसर) सुनिश्चित किया जाना चाहिए। भागवत ने कहा कि यह सभी के लिए स्पष्ट है कि मंदिरों की धार्मिक आचार संहिता के संबंध में कई निर्णय विद्वानों और आध्यात्मिक शिक्षकों के परामर्श के बिना ‘मनमौजी ढंग से’ किए जाते हैं।

‘मंदिरों का उचित प्रबंधन और संचालन सुनिश्चित हो’
भागवत ने कहा कि हिंदू समाज की ताकत के आधार पर मंदिरों के उचित प्रबंधन और संचालन को सुनिश्चित करते हुए एक बार फिर मंदिरों को हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का केंद्र बनाने के लिए एक योजना तैयार करनी भी आवश्यक है।

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