Monday, May 06, 2024
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सूर्य मिशन पर गए आदित्य-एल1 को लेकर आया बड़ा अपडेट, ISRO ने दी बड़ी जानकारी

2 सितंबर को इसरो के पीएसएलवी-सी57 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। यह लगभग 127 दिनों के बाद आदित्य-एल1 के एल1 बिंदु पर पहुंचने की उम्मीद है।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: October 01, 2023 0:00 IST
ISRO, Aditya-L1- India TV Hindi
Image Source : FILE आदित्य-एल1

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के बाद अब भारतीय स्पेस एजेंसी को एक और बड़ी सफलता मिली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि भारत की अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला आदित्य-एल1 पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से सफलतापूर्वक बाहर चली गई है। आदित्य-एल1 ने अब तक 9.2 लाख किमी से अधिक की यात्रा की है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, आदित्य-एल1 अब सन-अर्थ लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) की ओर अपना रास्ता तय कर रहा है।

इसरो ने बताया, "यह लगातार दूसरी बार है कि इसरो ने पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर एक अंतरिक्ष यान भेजा है। पहली बार मंगल ऑर्बिटर मिशन को पृथ्वी की कक्षा से बाहर भेजा गया था।" यह लगातार पांचवीं बार है जब इसरो ने किसी वस्तु को किसी अन्य खगोलीय पिंड या अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है। इसरो ने अंतरिक्ष यान को तीन बार चंद्रमा और एक बार मंगल की ओर स्थानांतरित किया है।

लैग्रेंज प्वाइंट तक जाएगा एल1 

आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को भारतीय रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) से निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) में स्थापित किया गया। उस समय से इसरो ने अंतरिक्ष यान की कक्षा को चार बार बढ़ाया है। जैसे ही अंतरिक्ष यान पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव क्षेत्र (एसओआई) से बाहर निकलने के बाद लैग्रेंज प्वाइंट (एल1) की ओर यात्रा करेगा, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा। फिर, इसे एल1 के चारों ओर एक बड़े प्रभामंडल कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा। लॉन्च से एल1 तक की कुल यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 1.5 मिलियन किमी होगी।

डाटा भेजना किया शुरू

इससे पहले इसरो ने जानकारी दी थी कि आदित्य एल-1 ने  अंतरिक्ष से डाटा एकत्र करना शुरू कर दिया है। आदित्य एल-1 में लगे STEPS उपकरण के सेंसर ने पृथ्वी से 50,000 किलोमीटर से अधिक दूरी पर सुपर-थर्मल और ऊर्जा से भरे आयन और इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है। इस डाटा से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। आदित्य L1 को 2 सितंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। 

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