Wednesday, April 24, 2024
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यूक्रेन युद्ध से लेकर श्रीलंका संकट तक, वो मामले जिनमें भारत ने अपनाया बीच का रास्ता, लड़ते रहे दुनिया वाले

Yearender 2022: इस साल कई ऐसे मौके आए जब भारत ने अपने राष्ट्र हितों को ध्यान में रखते हुए बीच का रास्ता अपनाया। इसमें ईरान विरोध प्रदर्शन और रूस यूक्रेन युद्ध जैसे मामले शामिल हैं।

Shilpa Written By: Shilpa @Shilpaa30thakur
Updated on: December 22, 2022 15:45 IST
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर- India TV Hindi
Image Source : AP भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर

साल 2022 में दुनिया भर में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं। इस साल तमाम वैश्विक मुद्दे खबरों में खूब छाए रहे हैं। इनमें भारत की तरफ से जो रुख अपनाया गया, उसके लिए कभी भारत की तारीफ की गई तो कभी आलोचना की गई। लेकिन जो भी रुख अपनाया गया,  उसके पीछे भारत की मंशा केवल और केवल राष्ट्र हित थी। तो चलिए आज हम ऐसे ही मुद्दों की बात कर लेते हैं।

यूक्रेन पर रूस का आक्रमण

रूस ने 24 फरवरी के दिन यूक्रेन पर पहली बार हमला किया था। तभी से इन दोनों देशों के बीच जंग चल रही है, जिसे अब 10 महीने का वक्त पूरा हो गया है। रूस के हमले आज भी जारी हैं। अमेरिका समेत पश्चिमी और यूरोपीय देश पूरी तरह यूक्रेन के समर्थन में खडे़ हैं। वहीं दूसरी तरफ, चीन, बेलारूस, सीरिया, तुर्की और कुछ अन्य सेंट्रल एशियाई देश रूस की तरफ खड़े हैं। हालांकि भारत ने इस मामले में तटस्थता का रास्ता अपनाया। उसने किसी एक पक्ष का साथ न देते हुए कहा कि दोनों देशों को बातचीत की टेबल पर आना चाहिए। लेकिन भारत ने गलत को गलत भी बताया। बूचा में हुई हत्याओं की विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ शब्दों में आलोचना की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है। 

सप्लाई चेन प्रभावित हुई और तेल के दाम बढ़े

रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले की वजह से उस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिए थे। जिसके कारण दुनिया भर में सप्लाई चेन प्रभावित हुई और तेल के दामों ने आसमान छू लिया। यूरोपीय देशों ने रूस से तेल और गैस के आयात में कटौती कर दी या बिलकुल ही आयात बंद कर दिया। इसका गंभीर प्रभाव इन देशों पर ऊर्जा संकट के रूप में सामने आया। रूस पर प्रतिबंधों के चलते कई देशों की हिम्मत उससे तेल लेने की नहीं हुई लेकिन भारत ने ये हिम्मत दिखाई। भारत ने देश में तेल की कीमतें कम रखने के लिए रूस से तेल खरीदना जारी किया हुआ है। भारत का कहना है कि वह अपने राष्ट्रहितों को ध्यान में रखकर ही ऐसा कर रहा है। 

श्रीलंका में आया आर्थिक संकट

श्रीलंका ने इस साल आजादी के बाद अपने इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक संकट देखा है। वैसे तो इस देश की हालत बिगड़ना 2021 में ही शुरू हो गई थी लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते तेल के दाम बढ़ने से यहां भी इसकी कीमतों में इजाफा होने लगा। धीरे-धीरे महंगाई इतनी बढ़ी कि लोगों के लिए आवश्यक वस्तुएं खरीदना भी भारी पड़ गया। सरकार के पास जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए डॉलर कम पड़ गए थे। इस देश पर विश्व बैंक, चीन और अमेरिका का भारी कर्ज है। मुश्किल वक्त में चीन ने श्रीलंका की मदद नहीं की। उस वक्त भारत उसके काम आया, और उसे सहायता पहुंचाई। 

इजरायल-फलस्तीन के बीच विवाद

खाड़ी देशों में हमेशा से ही इजरायल फलस्तीन विवाद चर्चा में रहता है। इस साल दोनों के बीच हुई हिंसा की काफी खबरें देखने को मिलीं। जनवरी में ही गजा में बैठे आतंकियों ने इजरायल की धरती पर मिसाइल दागना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही ऐसी भी रिपोर्ट्स आईं कि फलस्तीन और गजा पट्टी में इजरायली छापेमारी में बच्चों और किशोरों समेत कई नागरिकों की मौत हुई। अगस्त में मामले में अधिक उबाल तब आया, जब इजरायल ने फलस्तीन और गजा पट्टी पर मिसाइल दागीं। जिसमें सैकड़ों लोग घायल हुए और दर्जनों की मौत हुई। भारत अपनी आजादी के बाद से फलस्तीन के अधिकारों का समर्थक रहा है लेकिन अब उसने अपने रुख में बदलाव किया है और वक्त के साथ-साथ इजरायल उसका रक्षा और कृषि क्षेत्र में जरूरी साझेदार बना है। ऐसे में भारत अब इस संघर्ष में दो राष्ट्र की नीति का समर्थन करता है। 

ईरान में विरोध प्रदर्शन

ईरान में 16 सितंबर को कुर्द महिला महसा अमीनी की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी। उन्हें ठीक से हिजाब नहीं पहनने की वजह से हिरासत में लिया गया था। इसके बाद से ईरान में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। जिसमें महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। लोगों ने देश में हिजाब की अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस मामले में पश्चिमी देश बढ़ चढ़कर बोल रहे थे लेकिन भारत ने चुप्पी साधे रखी। भारत ने न तो इस मामले के समर्थन में कुछ कहा और न ही विरोध में कुछ कहा। ईरान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में जब प्रस्ताव लाया गया, तो भारत वहां से अनुपस्थित रहा। 

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