Friday, March 29, 2024
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कैराना उपचुनाव: ‘संयुक्त विपक्ष’ की तबस्सुम के खिलाफ BJP की मृगांका, सोमवार को डाले जाएंगे वोट

उत्तर प्रदेश के लिए कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक तौर पर अहम है क्योंकि यह माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह रणनीतिक भूमिका निभाएगी...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: May 27, 2018 17:05 IST
Kairana bypoll will be a key player in the run up to 2019 Lok Sabha polls | PTI- India TV Hindi
Kairana bypoll will be a key player in the run up to 2019 Lok Sabha polls | PTI

कैराना: उत्तर प्रदेश के लिए कैराना लोकसभा सीट राजनीतिक तौर पर अहम है क्योंकि यह माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह रणनीतिक भूमिका निभाएगी। इस लोकसभा सीट पर सोमवार को उपचुनाव होना है। इस सीट पर विपक्ष की साझा उम्मीदवार तबस्सुम हसन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मृगांका सिंह को चुनौती दे रही हैं। राजधानी लखनऊ से करीब 630 किलोमीटर दूर स्थित कैराना लोकसभा सीट के तहत शामली जिले की थानाभवन, कैराना और शामली विधानसभा सीटों के अलावा सहारनपुर जिले की गंगोह और नकुड़ विधानसभा सीटें आती हैं। क्षेत्र में करीब 17 लाख मतदाता हैं जिनमें मुस्लिम, जाट और दलितों की संख्या अहम है।

तबस्सुम को सपा, बसपा, कांग्रेस का समर्थन

राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ता अब्दुल हकीम खान ने कहा कि उन्होंने कभी ऐसा चुनाव नहीं देखा है जिसमें सत्तारूढ़ दल के उम्मीदवार को विपक्ष का साझा प्रत्याशी टक्कर दे रहा हो। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती है।’ भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह राष्ट्रीय लोक दल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन के खिलाफ मैदान में हैं। तबस्सुम को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का समर्थन है।

सीट पर कब्जा बनाए रखने की भरपूर कोशिश कर रही भाजपा
विपक्ष उम्मीद कर रहा है कि भाजपा विरोधी वोटों को लामबंद कर वह गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव की कामयाबी को दोहराएगा जहां सत्तारूढ़ पार्टी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था। लोक दल के उम्मीदवार कंवर हसन के नाम वापस लेने और राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होने से विपक्ष का आत्मविश्वास बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर भाजपा सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए मतदाताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और विपक्ष को कड़ा संदेश दे रही है कि गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव एक भ्रम था और वह अब भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत है।

भाजपा के कई मंत्रियों ने किया चुनाव प्रचार
भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी है। योगी के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी सहारनपुर और शामली में प्रचार किया। इनके अलावा भाजपा ने कम से कम 5 मंत्रियों को चुनावी रण में प्रचार के लिए उतारा। इनमें आयुष राज्य मंत्री धर्म सिंह सैनी, गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा, बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और धार्मिक मामले, संस्कृति, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज मंत्री लक्ष्मी नारायण शामिल हैं। सैनी और राणा क्रमश: नकुड़ और थानाभवन से विधायक है।

‘क्षेत्र के गन्ना किसान सबसे ज्यादा दुखी’
भाजपा सांसद संजीव बाल्यान, राघव लखन पाल, विजय पाल सिंह तोमर और कांता करदम ने भी मृगांका सिंह के लिए प्रचार किया। सपा और कांग्रेस ने उपचुनाव में मंत्रियों की जमात को उतारने को भाजपा की घबराहट बताया है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस उपचुनाव में कानून एवं व्यवस्था और गन्ना किसानों की परेशानी मुख्य मुद्दे हैं। चीनी मिलों द्वारा किसानों का बकाया शीघ्रता से देने के सरकारी दावे को खारिज करते हुए तबस्सुम ने कहा, ‘क्षेत्र के गन्ना किसान सबसे ज्यादा दुखी हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने उनका भुगतान नहीं किया है।’

हिंदू परिवारों के पलायन पर प्रत्याशियों ने कहीं ये बातें
2016 में कैराना से हिन्दू परिवारों का पलायन होने के हुकुम के इस दावे पर तबस्सुम ने कहा, ‘कैराना में ऐसा कुछ नहीं हुआ था। इलाका हरियाणा के पानीपत से सटा हुआ है, जहां उद्योग हैं और यहां से मजदूर (हिन्दू और मुस्लिम) सुबह वहां जाते हैं और शाम को लौटते हैं।’ तबस्सुम ने कहा कि कैराना में हिन्दू और मुस्लिम अमन से रहते हैं। वहीं मृगांका ने कहा कि कैराना से हिन्दू परिवारों का पलायन अब रुक गया है, लेकिन 2017 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सैकड़ों हिंदू परिवार डर और परेशानी की वजह से कैराना से चले गए थे। सोमवार को कैराना के साथ-साथ नूरपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनावों के लिए भी वोट डाले जाएंगे।

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