Friday, March 29, 2024
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UP Violence: यूपी में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा-ए-हिंद, अधिकारियों के खिलाफ एक्शन की मांग

सुप्रीम कोर्ट में दिए आवेदन में उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा अधिनियमित कानून और नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन में ध्वस्त किए गए घरों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है।

Gonika Arora Reported by: Gonika Arora @AroraGonika
Updated on: June 13, 2022 20:40 IST
Jamiat Ulema-e-Hind moves Supreme Court against the bulldozer action in UP- India TV Hindi
Image Source : ANI Jamiat Ulema-e-Hind moves Supreme Court against the bulldozer action in UP

Highlights

  • बुलडोजर एक्शन के खिलाफ कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा-ए-हिंद
  • यूपी सरकार को विध्वंस की कार्रवाई पर रोक के निर्देश की मांग
  • आरोपियों को उचित नोटिस और सुनवाई का मिले अवसर

UP Violence: उत्तर प्रदेश में उपद्रवियों के खिलाफ जारी बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट से यूपी सरकार को निर्देश देने की मांग की है कि किसी भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और विध्वंस की कार्रवाई न की जाए।

दिल्ली में विध्वंस पर रोक का दिया हवाला 

सुप्रीम कोर्ट में दिए आवेदन में उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा अधिनियमित कानून और नगरपालिका कानूनों के उल्लंघन में ध्वस्त किए गए घरों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है। आवेदन में कहा गया है कि मौजूदा हालता और भी ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान मामले में किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

आरोपियों की संपत्ति के विध्वंस पर लगे रोक

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोर्ट यूपी सरकार को ये आदेश दे कि किसी भी आपराधिक कार्यवाही में किसी भी आरोपी की आवासीय / व्यावसायिक संपत्ति के खिलाफ अतिरिक्त कानूनी दंडात्मक उपाय के रूप में कानपुर जिले में कोई प्रारंभिक कार्रवाई नहीं की जाएगी। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने अपने आवेदन में मांग की कि उत्तर प्रदेश शासन को ये निर्देश जारी किए जाएं कि किसी भी तरह की विध्वंस कार्रवाई को कानून के भीतर रहकर ही सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। आवेदन में मांग की गई है कि ऐसे मामले में उक्त व्यक्ति को उचित नोटिस और सुनवाई का अवसर दिए जाने के बाद ही कोई कार्रवाई की जानी चाहिए।

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