
स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया को कस्टम डिपार्टमेंट से मिले 12,000 करोड़ रुपये के टैक्स डिमांड नोटिस वाले मामले में एक नया अपडेट आया है। मामले की सुनवाई कर रहे बॉम्बे हाई कोर्ट ने कस्टम डिपार्टमेंट को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। कस्टम डिपार्टमेंट को हलफनामे में ये बताना होगा कि कंपनी से 1.4 अरब डॉलर की टैक्स डिमांड वाला उसका सितंबर, 2024 का कारण बताओ नोटिस किस तरह समयसीमा की बंदिश में नहीं आता है। जस्टिस बी. पी. कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की बेंच ने स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया।
कस्टम डिपार्टमेंट को 10 मार्च तक दाखिल करना होगा हलफनामा
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर कस्टम डिपार्टमेंट को 10 मार्च तक अपना हलफनामा दाखिल करना है। बताते चलें कि ऑटोमोबाइल कंपनी द्वारा दायर की गई इस याचिका में कस्टम विभाग के टैक्स नोटिस को मनमाना और अवैध बताते हुए चुनौती दी गई है। स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया ने 1.4 अरब डॉलर यानी 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के टैक्स डिमांड को ‘बहुत ज्यादा’ बताया है। कस्टम डिपार्टमेंट ने नोटिस में कहा था कि कंपनी ने अपने इंपोर्ट के संबंध में उसे भ्रामक जानकारी दी थी। कंपनी ने ऑडी, स्कोडा और फॉक्सवैगन कारों के अपने इंपोर्ट को ‘पूरी तरह तैयार’ (CKD) यूनिट्स के बजाय अलग-अलग हिस्सों के रूप में गलत ढंग से पेश किया, जिससे उसे काफी कम सीमा शुल्क का भुगतान करना पड़ा।
सीकेडी यूनिट्स के इंपोर्ट पर देना होता है 30 से 35 प्रतिशत टैक्स
कस्टम विभाग के नोटिस पर स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया का कहना है कि डिपार्टमेंट इतने सालों के बाद उससे टैक्स की डिमांड नहीं कर सकता है। कंपनी अलग-अलग पार्ट्स के इंपोर्ट पर एक दशक से टैक्स का भुगतान करती रही है। ऐसे में डिपार्टमेंट का CKD यूनिट कैटेगरी के हिसाब से टैक्स भुगतान के लिए कहना उचित नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने कहा कि वे इस स्तर पर सिर्फ समयसीमा के बिंदु पर ही इस मुद्दे पर फैसला करेगी। बताते चलें कि विदेशों से सीकेडी यूनिट्स के इंपोर्ट पर 30 से 35 प्रतिशत टैक्स लगता है जबकि अलग-अलग कलपुर्जों के तौर पर इंपोर्ट के लिए 5 से 15 प्रतिशत टैक्स लगता है।