
Budget 2020: Govt may trim PM-KISAN allocation by 20 pc to Rs 60k cr
नई दिल्ली। केंद्र सरकार आगामी आम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का आवंटन करीब 20 प्रतिशत घटाकर लगभग 60,000 करोड़ रुपए कर सकती है। इसका कारण योजना को कुछ राज्यों में क्रियान्वयन करने में आ रही बाधाएं हैं। केंद्र ने 2019-20 के बजट में इस योजना के लिए बजटीय अनुमान में 75,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया था।
पीएम किसान योजना के तहत किसानों को सालाना तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपए दिए जाते हैं। हालांकि सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में संशोधित अनुमान 61,000 करोड़ रुपए पर आ सकता है। इसका कारण पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों द्वारा योजना को लागू नहीं किया जाना है। साथ ही कई राज्यों के पास किसानों का समुचित आंकड़ा नहीं है।
एक सूत्र ने कहा कि सरकार 2020-21 के लिए करीब 61,000 करोड़ रुपए आवंटित कर सकती है। यह 2019-20 के संशोधित अनुमान के लगभग बराबर है। सरकार ने फरवरी 2019 में पेश अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की थी। इसके अलावा सरकार कृषि कर्ज आवंटन लक्ष्य में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है। चालू चित्त वर्ष में 13.5 लाख करोड़ रुपए वितरण का लक्ष्य था। चालू वित्त वर्ष में कृषि कर्ज वितरण लक्ष्य के अनुरूप रहा है। सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार कृषि बीमा योजना के लिए आवंटन 15,000 करोड़ रुपए कर सकती है, जो चालू वित्त वर्ष में 14,000 करोड़ रुपए है। सरकार पहले ही दिसंबर 2019 तक 12,135 करोड़ रुपए आवंटित कर चुकी है।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत लगातार घट रही है लाभार्थियों की संख्या
पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले छोटे एवं सीमांत किसानों की सहायता के लिए लाई गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत लाभार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। कृषि मंत्रालय की 'पीएम किसान' वेबसाइट के अनुसार, योजना के तहत कुल चिन्हित 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपए की राशि दी गई। वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरी में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ (29 जनवरी तक) रह गई है।
इस बारे में बेंगलुरू स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डा. प्रमोद कुमार ने कहा कि छोटे किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से यह योजना लाई गई लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लाभार्थियों की सूची लगातार घट रही है। यह बताता है बड़ी संख्या में किसान इस योजना से बाहर हो रहे हैं।
लाभार्थियों की संख्या में कमी के कारणों पर उन्होंने कहा कि पोर्टल पर डाले गए आंकड़ों में विसंगतियां पाई गई हैं। इसके अलावा योजना के लाभ के लिए आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं।