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नोटबंदी के बाद 50 लाख लोगों को धोना पड़ा अपनी नौकरी से हाथ, सबसे ज्‍यादा युवा हुए प्रभावित

जीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की यह रिपोर्ट सीएमआईई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भारत के बेरोजगारों में अधिकांश युवा हैं।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: April 17, 2019 16:22 IST
Demonetisation- India TV Paisa
Photo:DEMONETISATION

Demonetisation

नई दिल्‍ली। वर्ष 2016-2018 के बीच करीब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खोई हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरियों में गिरावट की शुरुआत नोटबंदी के साथ शुरू हुई। हालांकि इन रुझानों का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया जा सका है।

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की यह रिपोर्ट सीएमआईई-सीपीडीएक्स के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भारत के बेरोजगारों में अधिकांश युवा हैं। रिपोर्ट का शीर्षक स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया है। बयान के अनुसार सामान्य तौर पर, महिलाएं पुरुषों से ज्यादा प्रभावित हैं। उनमें बेरोजगारी दर ज्यादा है। इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर भी कम है।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सामान्य तौर पर बेरोजगारी 2011 के बाद धीरे-धीरे बढ़ी है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और सीएमआईई-सीपीडीएक्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 में कुल बेरोजगारी दर छह प्रतिशत के आस-पास है, जोकि 2000 से 2011 के बीच के आंकड़े से दोगुना है।

रिपोर्ट के अनुसार शहरी महिलाओं में, कार्यशील आयु आबादी में स्नातक महिलाएं 10 प्रतिशत हैं, जबकि इनमें 34 प्रतिशत बेरोजगार हैं। 20-24 वर्ष आयु समूह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। शहरी पुरुषों में, उदाहरण के लिए इस आयु समूह की कार्यशील आयु आबादी में 13.5 प्रतिशत हैं, लेकिन इसमें 60 प्रतिशत आबादी बेरोजगार है।

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च शैक्षणिक योग्यता वालों के बीच खुली बेरोजगारी में वृद्धि के अलावा, कम पढ़े-लिखे नौकरीपेशा लोगों ने नौकरियां गंवाई है और 2016 के बाद काम के अवसर में भी कमी आई है।

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