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आत्मनिर्भर भारत का परिणाम संरक्षणवाद नहीं होना चाहिए: RBI पूर्व गवर्नर राजन

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान का परिणाम संरक्षणवाद के रूप में नहीं आना चाहिए।

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 07, 2020 23:34 IST
Former Reserve Bank governor Raghuram Rajan- India TV Paisa
Photo:PTI

Former Reserve Bank governor Raghuram Rajan

नयी दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान का परिणाम संरक्षणवाद के रूप में नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व में इस प्रकार की नीतियां अपनायी गयी लेकिन उसका कोई लाभ नहीं दिखा। 

राजन ने कहा कि उन्हें अबतक यह साफ नहीं है कि आखिर सरकार का ‘आत्मनिर्भर भारत’ से मतलब क्या है। अगर यह उत्पादन के लिये एक परिवेश बनाने को लेकर है, तब यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नये रूप में पेश करने जैसा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह संरक्षणवाद को लेकर है, तो दुर्भाग्य से भारत ने हाल में शुल्क दरें बढ़ायीं, तब मेरी समझ में वह रास्ता अपनाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि हमने पहले इसको लेकर कोशिश कर ली है।’’ 

आरबआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘‘पूर्व में हमारे पास लाइसेंस परमिट राज व्यवस्था थी, संरक्षणवाद का वह तरीका समस्या पैदा करने वाला था। उसने कुछ कंपनियों को समृद्ध किया जबकि वह हममें से कइयों के लिये गरीबी का कारण बना।’’ आर्थिक शोध संस्थान इक्रियर के ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन ने यह बात कही। 

फिलहाल शिकागो विश्वविद्यलाय के प्रोफेसर राजन ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर के विनिर्माण व्यवस्था की जरूरत है और इसका मतलब है कि देश के विनिर्माताओं के लिये सस्ते आयात तक पहुंच हो। यह वास्तव में मजबूत निर्यात के लिये आधार बनाता है। उन्होंने कहा, ‘‘अत: कुल मिलाकर हमें वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिये बुनियादी ढांचा, लॉजिस्टिक समर्थन आदि सृजित करने की जरूरत है। लेकिन हमें शुल्क युद्ध शुरू नहीं करना चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि इसका कोई फायदा नहीं है। कई देशों ने इस दिशा में कोशिश की है।’’ राजन ने यह भी कहा कि भारत को शिक्षा क्षेत्र में काफी मेहनत करने की जरूरत है। ‘‘हम विभिन्न देशों को शिक्षा उपलब्ध करा सकते हैं।’’ 

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