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योगी सरकार ने करोड़ों किसानों को दिया दिवाली का तोहफा, मंडी शुल्‍क 2 से घटाकर क‍ि‍या एक प्रतिशत

अब मंडी परिसर के अंदर व्यापार करने पर वर्तमान में लागू 2.5 प्रतिशत के स्थान पर कुल 1.5 प्रतिशत कर ही देय होगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : November 06, 2020 11:14 IST
Farmers get diwali gift as UP govt slashes mandi tax to 1 percent - India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

Farmers get diwali gift as UP govt slashes mandi tax to 1 percent 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के करोड़ों कृषकों को मंडियों में बेहतर सुविधा देने और मंडियों में काम कर रहे व्यापारियों के प्रोत्साहन के लिए मंडी शुल्क की दर को दो प्रतिशत से घटाकर मात्र एक प्रतिशत करने की घोषणा की है। मंडियों में विकास कार्यो को गति देने के लिए विकास शुल्क की दर (0.5 प्रतिशत) यथावत रहेगी। अब मंडी परिसर के अंदर व्यापार करने पर वर्तमान में लागू 2.5 प्रतिशत के स्थान पर कुल 1.5 प्रतिशत कर ही देय होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है। मुख्यमंत्री का यह फैसला किसानों और संबंधित व्यापारिक संगठनों के लिए दिवाली का तोहफा माना जा रहा है।

इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान किसान हितों के संरक्षण के उद्देश्य से फलों एवं सब्जियों के सुगम विपणन के लिए कुल 45 जिन्सों को एक साथ मई में डी-नोटिफाइड कर दिया गया था, जिसके फलस्वरूप उन पर मंडी शुल्क की देयता समाप्त हो गई थी। इन उत्पादों के मंडी परिसर में लाए जाने पर मात्र एक प्रतिशत प्रयोक्ता प्रभार ही देय होता है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा बीते जून में मंडी क्षेत्र को मंडी परिसर एवं ट्रेड एरिया के रूप में पृथक-पृथक करते हुए मंडी समितियों के कार्यक्षेत्र को मंडी परिसरों एवं अधिसूचित मंडी स्थलों तक सीमित कर दिया गया है और ट्रेड एरिया में होने वाले कृषि विपणन पर लाइसेंस की अनिवार्यता तथा मंडी शुल्क-विकास शुल्क के आरोपण से अवमुक्त कर दिया गया है। ऐसे में मंडी परिसरों की सुविधाओं के समुचित सदुपयोग तथा कृषकों व व्यापारियों को मंडी परिसर में व्यापार के लिए प्रेरित करने की दृष्टि से योगी सरकार ने मंडी शुल्क कम करने का फैसला लिया है।

 

देश में तेजी से हो रहा बागवानी का विस्तार  

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि देश में बागवानी का तेजी से विस्तार हो रहा है और यह देश के कृषि क्षेत्र का विकास-यंत्र बन चुका है। केंद्रीय मंत्री ने यह बात भारत-डच संयुक्त कृषि कार्य योजना के तहत केरल के वायनाड जिले में सब्जियों एवं फूलों के उत्कृष्टता केंद्र का वर्चुअल तरीके से शुभारंभ करते हुए कही। इस मौके पर तोमर ने बताया कि वर्ष 2019-20 में भारत में रिकॉर्ड 31.95 करोड़ टन बागवानी फसलों का उत्पादन हुआ, जिसमें फलों उत्पादन 10.05 करोड़ टन और सब्जियों का 18.58 करोड़ टन शामिल है। भारत ने 38.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 92.1 लाख टन मसालों का उत्पादन किया और 21,515 करोड़ रुपये मूल्य के 11.83 लाख टन मसालों का निर्यात किया है।

उन्होंने कहा कि भारत मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक है और बागवानी उत्पादों की बढ़ती मांग के साथ ही गति बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि संरक्षित कृषि के माध्यम से उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाया जाए और उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री का उपयोग किया जाए। तोमर ने बताया कि भारत सरकार, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई), परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), एकीकृत बागवानी मिशन (एमआईडीएच) जैसी बहुआयामी केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के माध्यम से केरल में भी कृषि क्षेत्र के समेकित विकास में सहायता कर रही है।

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