नई दिल्ली। बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियां (NPA) यानी फंसा कर्ज चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 8 से 9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही। एजेंसी के अनुसार कर्ज पुनर्गठन और आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 राहत उपायों से बैंकों के सकल एनपीए को सीमित रखने में मदद मिलेगी। उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक करीब दो प्रतिशत बैंक ऋण के पुनर्गठन की संभावना है। ऐसे में सकल एनपीए और पुनर्गठन के अंतर्गत आने वाला कर्ज समेत तनावग्रस्त संपत्ति 10-11 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने रिपोर्ट में कहा कि खुदरा और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) खंडों का कुल कर्ज में योगदान करीब 40 प्रतिशत है। इस बार इन क्षेत्रों में एनपीए और दबाव वाली संपत्तियां बढ़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि इन दोनों खंडों में दबाव वाली संपत्तियां चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर क्रमश: 4-5 प्रतिशत और 17-18 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। क्रिसिल ने कहा कि राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी लि.
(एनएआरसीएल) के चालू वित्त वर्ष के अंत तक परिचालन में आने के साथ पहले दौर में 90,000 करोड़ रुपये के एनपीए की बिक्री की उम्मीद है। इससे सकल एनपीए की सूचना में कमी देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट क्षेत्र अधिक मजबूत बना हुआ है। पांच साल पहले संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के दौरान कंपनियों में ज्यादातर दबाव वाली संपत्तियों की पहचान पहले ही हो चुकी है। इसमें कहा गया है कि इससे कंपनियों के बही-खाते मजबूत हुए और वे खुदरा तथा एमएसएमई के मुकाबले बेहतर तरीके से महामारी की चुनातियों से निपटने में सक्षम रहे। यही कारण है कि इस खंड में केवल लगभग एक प्रतिशत कर्ज का ही पुनर्गठन हुआ है। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में दबाव वाली संपत्ति चालू वित्त वर्ष में 9 से 10 प्रतिशत के दायरे में रहने की संभावना है।
मूडीज ने बैंकिंग प्रणाली के परिदृश्य को 'नकारात्मक' से 'स्थिर' किया
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने महामारी की शुरुआत के बाद से संपत्ति की गुणवत्ता में मामूली गिरावट और आर्थिक पुनरुद्धार के साथ ऋण वृद्धि में तेजी आने की संभावना के मद्देनजर मंगलवार को भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए परिदृश्य को 'नकारात्मक' से 'स्थिर' कर दिया। मूडीज को उम्मीद है कि अगले 12-18 महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा और मार्च, 2022 में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.3 प्रतिशत और उसके अगले वर्ष 7.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
मूडीज ने अपनी 'बैंकिंग प्रणाली परिदृश्य - भारत’ रिपोर्ट में कहा, "आर्थिक गतिविधियों में तेजी से ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। यह वृद्धि हमें सालाना 10-13 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। कमजोर कॉरपोरेट वित्तीय स्थिति और वित्तीय कंपनियों में वित्त पोषण की कमी बैंकों के लिए प्रमुख नकारात्मक कारक रहे हैं लेकिन ये जोखिम कम हो गए हैं।" इसमें कहा गया कि कॉरपोरेट ऋणों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है जो यह दर्शाता है कि बैंकों ने इस वर्ग में पुरानी समस्याओं वाले सभी ऋणों को मान्यता दी है और उन्हें लेकर प्रावधान किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा ऋणों की गुणवत्ता में गिरावट आयी है, लेकिन यह एक सीमा तक हुआ है क्योंकि व्यापक रूप से नौकरियां छूटने की समस्या नहीं देखी गयी है। मूडीज ने कहा, "हमने भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए दृष्टिकोण में बदलाव करते हुए उसे नकारात्मक से स्थिर कर दिया है। महामारी का प्रकोप शुरू होने के बाद से संपत्ति की गुणवत्ता में मामूली गिरावट आयी है और संचालन के सुधरते माहौल से संपत्ति गुणवत्ता में मदद मिलेगी। संपत्ति गुणवत्ता में सुधार से ऋण की लागत में कमी के साथ लाभप्रदता में सुधार होगा।"
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