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10th Anniversory: IPL है 27,000 करोड़ रुपए का खेल, जानिए टीम कैसे करती हैं कमाई

IPL का दसवां संस्‍करण शुरू हो चुका है और अब आठ टीमें अगले 47 दिनों तक भरपूर मनोरंजन करेंगी और इस खेल से जुड़ी कंपनियां करोड़ों रुपए की कमाई।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: April 06, 2017 14:05 IST
10th Anniversory: IPL है 27,000 करोड़ रुपए का खेल, जानिए टीम कैसे करती हैं कमाई- India TV Paisa
10th Anniversory: IPL है 27,000 करोड़ रुपए का खेल, जानिए टीम कैसे करती हैं कमाई

नई दिल्‍ली। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) का दसवां संस्‍करण शुरू हो चुका है और अब आठ टीमें अगले 47 दिनों तक क्रिकेट प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन करेंगी और इस खेल से जुड़ी कंपनियां करोड़ों रुपए की कमाई। केवल 10 साल में आईपीएल की कीमत शून्‍य से हजारों करोड़ रुपए हो गई है। ग्लोबल वैल्यूएशन और कॉर्पोरेट फाइनेंस एडवाइजर कंपनी Duff & Phelps की रिपोर्ट के मुताबिक जून 2016 तक IPL की ब्रांड वैल्यू 416 करोड़ डॉलर (करीब 27,000 करोड़ रुपए) पर पहुंच चुकी है।

बिजनेस, एंटरटेनमेंट और स्‍पोर्ट्स को एक साथ एक प्‍लेटफॉर्म पर लाने के पीछे ललित मोदी का दिमाग था। जब 2008 में IPL की शुरुआत हुई तो इसे भारत के लिए एक बेशकीमती खेल प्रतीक के रूप में देखा गया। इस लीग के जरिये न केवल दुनियाभर के बेहतरीन क्रिकेट खिलाडि़यों को एक जगह इकट्ठा किया गया, बल्कि इसने कॉर्पोरेट भारत को भी अपने साथ जोड़ लिया। अभी भी बहुत से लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कैसे आईपीएल फ्रेंचाइजी करोड़ों रुपए में स्‍टार खिलाडि़यों को खरीद रही हैं और उनको कैसे कमाई हो रही है।

आईपीएल को बिजनेस के‍ लिए किया गया है डिजाइन

आईपीएल की वास्‍तविकता यह है कि इसे बिजनेस के दृष्टिकोण से डिजाइन किया गया है। यह एक क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे मूल्‍यवान कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के तौर पर विकसित किया गया है। यह कंपनियों को आक्रामक ढंग से अपने बिजनेस का विज्ञापन करने का अवसर प्रदान करता है। आईपीएल का प्रमुख बिजनेस प्‍लान यह है कि प्राइवेट कंपनियों को क्रिकेट फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए बुलाया जाए। जब फ्रेंचाइजी को बड़ी कीमत पर बेच दिया जाएगा, तब कॉर्पोरेट्स भारतीय क्रिकेट में निवेश के लिए आकर्षित होंगे। यही वह रास्‍ता है जहां से पैसा आता है।

बड़ी-बड़ी कंपनियां लगाती हैं पैसा  

आईपीएल ने कॉर्पोरेट इंडिया को भारतीय क्रिकेट के ड्रेसिंग रूम में आने की अनुमति दी है। इससे पहले स्‍पॉन्‍सर्स कभी प्‍लेयर्स की टीशर्ट पर अपनी कंपनी के लोगो के लिए पैसा नहीं देते थे, लेकिन अब इसके लिए मोटी रकम चुकाई जा रही है। अंतरराष्‍ट्रीय और बड़ी कंपनियां इस खेल को स्‍पॉन्‍सर कर रही हैं। भारत में क्रिकेट को लेकर अजीब पागलपन है, दुनिया में सबसे ज्‍यादा क्रिकेट प्रेमी और जनसंख्‍या भारत में हैं, जो लगातार बढ़ रही है। सभी लोग इस बात से सहमत हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्‍ट्री में कभी मंदी नहीं आती और आईपीएल बॉलीवूड और क्रिकेट का कॉकटेल है, जो केवल एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट का वादा करता है।

आईपीएल टीम ऐसे बनाती हैं पैसा:

मीडिया राइट्स: आईपीएल में एक रेवेन्‍यू डिस्‍ट्रीब्‍यूशन मॉडल है, जहां बीसीसीआई ब्रॉडकास्‍टर और ऑनलाइन स्‍ट्रीमर से मोटी रकम वसूलता है। इसमें से अपनी फीस काटकर इस रकम को सभी आईपीएल टीम के बीच बांटा जाता है। इसका बंटवारा टीम रैंक के आधार पर होता है। खेल के अंत में जिस टीम की रैंक जितनी अधिक होती है उसे मीडिया रेवेन्‍यू में उतना बड़ा हिस्‍सा मिलता है। आईपीएल टीम द्वारा कुल कमाई में 60-70 फीसदी हिस्‍सा मीडिया राइट्स का होता है।

ब्रांड स्‍पॉन्‍सरशिप: ब्रांड स्‍पॉन्‍सरशिप के जरिये भी आईपीएल फ्रैंचाइजीस एक बड़ी रकम हासिल करती हैं। फ्रैंचाइजी ब्रांड के साथ टाइअप कर उनके ब्रांड व लोगो को टीम किट और जर्सी पर छापते हैं। स्‍टेडियम की बाउंड्री पर लगने वाले विज्ञापनों से भी कमाई होती है। खिलाड़ी की छाती और पीठ पर बड़े व बोल्‍ड अक्षरों में उस कंपनी का नाम या लोगो लगाया जाता है तो सबसे ज्‍यादा स्‍पॉन्‍सरशिप फीस चुकाता है। स्‍पॉन्‍सर्स टीम खिलाडि़यों के साथ कुछ कार्यक्रम भी आयोजित कर सकता है, जिसके जरिये वह अपने ब्रांड को प्रमोट करता है। कुल कमाई में स्‍पॉन्‍सरशिप का हिस्‍सा 20-30 फीसदी होता है।

टिकट बिक्री: स्‍टेडियम में टिकट बिक्री से भी कमाई होती है। टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं। आईपीएल टीम के रेवेन्‍यू में टीकट की हिस्‍सेदारी तकरीबन 10 फीसदी है।

प्राइज मनी: आईपीएल में बहुत बड़ी नकद राशि ईनाम के तौर पर दी जाती है। 2016 में 47 करोड़ रुपए ईनाम के तौर पर दिए गए। टूर्नामेंट की चैंपियन टीम को ईनाम राशि का सबसे बड़ा हिस्‍सा मिलता है। प्राइज मनी को टीम मालिक और खिलाडि़यों के बीच बांटा जाता है।

मर्चेंडाइज सेल्‍स: भारत में खेल सामग्री का बाजार सालाना आधार पर 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और यह बाजार तकरीबन 3 करोड़ डॉलर का है। प्रत्‍येक फ्रैंचाइजी मर्चेंडाइज की बिक्री करती है, जिसमें टी-शर्ट, कैप, रिस्‍ट वॉच और अन्‍य कई सामग्री शामिल हैं।

स्‍टॉल का किराया: मैच के दौरान फूड स्‍टॉल कॉन्‍ट्रैक्‍ट आधार पर थर्ड पार्टी को दिए जाते हैं जो इन्‍हें सब-कॉन्‍ट्रैक्‍ट के रूप में देती है। यह स्‍टॉल प्रति मैच प्रति स्‍टॉल एक तय कीमत पर दिए जाते हैं।

आईपीएल2017 में विज्ञापन से होगी 1300 करोड़ की कमाई

सोनी पिक्‍चर्स नेटवर्क के पास 14 प्रमुख स्‍पोंसर्स हैं और इस सीजन में सोनी को 1300 करोड़ रुपए का विज्ञापन राजस्‍व मिलने की उम्‍मीद है। 2016 में सोनी पिक्‍चर्स ने आईपीएल के दौरान विज्ञापन से 1100 करोड़ रुपए की कमाई की थी।

नए ब्रांड आईपीएल पर जमकर खर्च कर रहे हैं पैसा

नए ब्रांड क्रिकेट पर जमकर पैसा लगा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण चीनी मोबाइल कंपनी ओप्‍पो है। कंपनी ने भारतीय क्रिकेट टीम की अपैरल और गियर स्‍पॉन्‍सरशिप का अधिकार 1079.29 करोड़ रुपए में खरीदा है। एक अन्‍य चीनी कंपनी वीवो ने भारत में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए आईपीएल पर 768 करोड़ रुपए का दांव लगाया है।

DP में आईपीएल से जुड़ते हैं 1150 करोड़ रुपए

कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी का अनुमान है कि आईपीएल से हर साल 2,650 करोड़ रुपए की आर्थिक गतिविधियां पैदा होती हैं, जबकि भारतीय जीडीपी में यह 1150 करोड़ रुपए का योगदान करता है। वर्तमान में 2 लाख करोड़ डॉलर वाली भारतीय जीडीपी में आईपीएल का योगदान मात्र 0.01 फीसदी है। अधिकांश विकसित देशों की जीडीपी में खेल का हिस्‍सा 1.5 से 2 फीसदी है। इस मामले में भारत को अभी बहुत लंबी यात्रा तय करनी है।

यह 8 टीमें ले रही हैं भाग

कोलकाता नाइट राइडर्स, मुंबई इंडियंस, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु, दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स, किंग्‍स इलेवन पंजाब, सन राइजर्स हैदराबाद, गुजरात लॉयन्‍स और राइजिंग पुणे।

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