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  4. नीरव मोदी के भाई ने अमेरिकी कंपनी को लगाया 26 लाख डॉलर का चूना, माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट पहुंचे भारतीय बैंक

नीरव मोदी के भाई नेहल ने अमेरिकी कंपनी के साथ की 26 लाख डॉलर की धोखाधड़ी, विजय माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट पहुंचे भारतीय बैंक

नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक के साथ दो अरब डॉलर के कर्ज की धोखाधड़ी और मनी लांडिंग के आरोपों में भारत में भगोड़ा अपराधी घोषित है और लंदन में जेल में बंद है

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 21, 2020 8:18 IST
Nirav Modi's brother Nehal charged with committing 2.6 million dollar fraud in New York- India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

Nirav Modi's brother Nehal charged with committing 2.6 million dollar fraud in New York

न्‍यूयॉर्क। भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी का भाई नेहल अमेरिका में 26 लाख डॉलर के हीरे की धोखाधड़ी के आरोप में फंस गया है। नेहल (41) पर आरोप है कि उसने मैनहट्टन में दुनिया की सबसे बड़ी हीरा कंपनी के साथ धोखाधड़ी की। उसके और गैंड लार्सेनी के खिलाफ न्यूयॉर्क के सुप्रीम कोर्ट में अभियोग दर्ज किया गया है। मैहनहट्टन के जिला अभियोजक कायी वेंसे जूनियर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हीरा सदैव-सदैव चलेगा पर ये गड़बड़ योजनाएं नहीं चलेंगी। मोदी को अब न्यूयॉर्क सुप्रीम कोट में अभियोग का जवाब देना होगा।

अभियोग पत्र के अनुसार नेहल ने नोबेल टाइटन होल्डिंग्स नाम की फर्म के एक सदस्य के रूप में 2015 में मार्च से अगस्त के दौरान गलत जानकारी दे कर एलएलडी डायमंड्स (यूएसए) से 26 लाख डॉलर के हीरे उदार शर्तों पर उधार में हासिल किए और उन हीरों को बेच कर उसका धन खुद ले लिया। अभियोजक के बायान में कहा गया है कि नेहल हीरा कारोबार करने वाले एक नामी घराने का आदमी है। उसका एलएलडी यूएसए से परिचय हीरा उद्योग के ही लोगों ने कराया था। उसने मार्च में एलएलडी से संपर्क कर के कई प्रकार के कुल 8,00,000 डॉलर के हीरे मांगे थे। उसका कहना था कि वह एक कंपनी कोस्टको होलसेल्स कार्पोरेशन के साथ कारोबार का संबंध स्थापित करना चाहता है और उसको ये हीरे उस कंपनी को दिखाने के लिए चाहिए, जो उसे खरीद भी सकती है। बाद में उसने कंपनी को बताया कि कोसटको हीरा खरीदने को तैयार हो गई है।

कंपनी उसे 90 दिन के उधार पर हीरा देने को तैयार हो गई। लेकिन उसने उन हीरों को बंधक रख कर माडेल कोलेटरल लोन्स कंपनी से धन उधार ले लिया। उस साल मई तक उसने एलएलडी से इसी काम के लिए 10 लाख डॉलर के हीरे और लिए। उसने इस दौरान एलएलडी को कई बार भुगतान किया। पर उधार लिए गए हीरों की बिक्री का धन अपने ऊपर या व्यावसायिक खर्च में इस्तेमाल किया। नेहल ने एलएलडी से बहाना बनाया कि कोस्टकों की आपूर्ति श्रृंखला में कुछ त्रुटि पैदा होने के कारण उसे हीरे का दाम चुकाने में थोड़ा दिक्कत हो रही है। अगस्त 2015 में उसने एलएलडी के पास जा कर झूठ बोला कि कोस्टको कुछ और हीरा लेना चाहती है।

कंपनी उसकी बात पर उसे कुछ और माल देने को तैयार हो गई पर कहा कि वह एलएलडी की स्वीकृति ले कर ही माल की खेप को आगे बेचेगा। नेहल को कंपनी का पिछला बकाया भी चुकाना था और उसने बंधक पर कर्ज देने वाली कंपनी से और कर्ज लेने का अनुबंध कर रखा था। उसने हीरा लेकर उसका बड़ा हिस्सा कर्ज देने वाली कंपनी माडेल से दो अलग अलग कर्ज लिए तथा हीरे की बची खेप काफी सस्ते में खुदरा दुकानदारों को बेच दिए। लेकिन इस बीच एलएलडी को नेहल की धोखाधड़ी का पता लग गया था। उसने इसकी शिकायत मैनहट्टन जिले के अधिकारियों से कर दी।

नेहल के भाई पंजाब नेशनल बैंक के साथ दो अरब डॉलर के कर्ज की धोखाधड़ी और मनी लांडिंग के आरोपों में भारत में भगोड़ा अपराधी घोषित है और लंदन में जेल में बंद है। भरतीय एजेंसियां उसे कानूनी गिरफ्त में लेने के लिए अदालती कार्रवाई कर रही है।

विजय माल्या के खिलाफ दिवाला वाद लेकर लंदन हाईकोर्ट पहुंचे भारतीय बैंक

भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में भारतीय बैंकों के एक समूह ने भगौड़े शराब व्यवसायी विजय माल्या के खिलाफ फिर लंदन के हाईकोर्ट का दरवाजा खटकाया है। यह मामला बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए ऋण की वसूली से जुड़ा है। ऋणशोधन एवं कंपनी मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ के मुख्य न्यायाधीश माइकल ब्रिग्स ने शुक्रवार को मामले की वीडियो संपर्क से सुनवाई की। इस दौरान माल्या और बैंकों के समूह दोनों की ओर से भारतीय उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने दोनों की कानूनी स्थिति के पक्ष और विपक्ष में दलीलें पेश की।

दोनों पक्षों ने ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ दिवाला आदेश के पक्ष-विपक्ष में अपनी दलीलें पेश की। बैंकों ने जहां माल्य से धन की वसूली ब्रिटेन में करने के लिए उनकी भारतीय परिसंपत्तियों की प्रति भूति छोड़ने का अधिकार होने का दावा किया। इसके विपरीत माल्या के वकील ने कहा कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रतिभूति का अधिकार छोड़ने की छूट नहीं है क्योंकि उनमें जनता का पैसा लगा है।

बैंकों के समूह की ओर से पेश वकील मार्सिया शेखरडेमियन ने कहा कि एक वाणिज्यिक इकाई के तौर पर बैंकों को उसके पास रेहन रखी परिसंपत्तियों पर अपने अधिकार के बारे में जब वह चाहे तब वाणिज्यिक फैसलने लेने का अधिकार है। उन्होंने माल्या के तरफ से पेश सेवानिवृत्त न्यायाधीश दीपक वर्मा की इन दलीलों का विरोध किया कि बैंक अपने पास रेहन रखी भारतीय परिसंपत्तियां पर अपना अधिकार त्याग कर ब्रिटेन के कानून के तहत दिवाला प्रक्रिया नहीं अपना सकते। 

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