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शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट शुल्क में 80% की कमी, इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा

मंत्रालय के अनुसार पेटेंट शुल्क अधिक होने से इन प्रौद्योगिकियों के पेटेंट में एक हिचक होती है। जिससे यह नयी प्रौद्योगिकी के विकास पर असर डालता है हतोत्साहित करता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : September 23, 2021 18:24 IST
पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021...- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 अधिसूचित

नई दिल्ली। देश में इनोवेशन और नई तकनीक की खोज को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी की है। आज वाणिज्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि नये नियमों के साथ सरकार ने पेटेंट (संशोधन) नियम, 2021 अधिसूचित कर दिया है। मंत्रालय के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक इस पहल का मकसद इनोवेशन को बढ़ावा देना और नयी तकनीक का विकास करना है। यह संशोधन  21 सितंबर, 2021 से  लागू हो गया है ।

मंत्रालय ने एक बयान मे कहा ‘‘आत्मनिर्भर भारत मिशन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शैक्षणिक संस्थानों के लिये पेटेंट आवेदन और अभियोजन को लेकर शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी की गयी है। केंद्र ने पेटेंट नियम में संशोधन को अधिसूचित कर दिया है।’’ अधिसूचना के अनुसार शैक्षणिक संस्थान का अर्थ केंद्रीय, प्रांतीय या राज्य कानूनों द्वारा या उसके तहत स्थापित विश्वविद्यालय है। इसमें केंद्र, राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा नामित प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त कोई अन्य शैक्षणिक संस्थान भी शामिल है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने पेटेंट प्रक्रिया को आसान बनाने को लेकर कई कदम उठाये हैं, इससे पेटेंट परीक्षण में लगने वाला समय 2015 में औसतन 72 महीने से घटकर फिलहाल 12 से 30 महीने रह गया है। यह समय प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों पर निर्भर करता है। बयान के अनुसार, ‘‘पेटेंट आवेदन के अंतिम रूप से निपटान में लगने वाला समय कम होकर फिलहाल औसतन 48 महीने है। इसे 2021 के अंत तक आवेदन देने के समय से कम कर औसतन 24 से 30 महीने किया जाएगा।’’ 

मंत्रालय के अनुसार पेटेंट शुल्क अधिक होने से इन प्रौद्योगिकियों के पेटेंट में एक हिचक होती है। जिससे यह नयी प्रौद्योगिकी के विकास पर असर डालता है। इसी को देखते हुए और देश के इनोवेशन के माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिक्षण संस्थानों की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ये कदम उठाया गया है। मंत्रालय के मुताबिक ये कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। 

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