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राष्ट्रपति ने राजन के काम की प्रशंसा की, कहा बैंकों की स्थिति सुधारने को सही दिशा दी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सार्वजनिक बैंकों के बहीखातों की साफ-सफाई और फंसे कर्ज की स्थिति में सुधार लाने के लिए पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की सराहना की।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: September 10, 2016 17:53 IST
राष्ट्रपति ने की रघुराम राजन के काम की प्रशंसा, कहा बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए उठाए सही कदम- India TV Paisa
राष्ट्रपति ने की रघुराम राजन के काम की प्रशंसा, कहा बैंकों की स्थिति सुधारने के लिए उठाए सही कदम

चेन्नई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सार्वजनिक बैंकों के बहीखातों की साफ-सफाई और उनके 100 अरब डॉलर से अधिक के फंसे कर्ज की स्थिति में सुधार लाने के लिए रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा उठाए गए तमाम कदमों की सराहना की। निजी क्षेत्र के करूर वैश्य बैंक के शताब्दी समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, आपने अक्सर बैंकिंग प्रणाली की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के बारे में सुना होगा। यह चिंता का विषय है और रिजर्व बैंक के गवर्नर पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए रघुराम राजन ने इस व्यवस्था को सही दिशा में ले जाने के लिए कई उपयुक्त कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) उनके सकल ऋण के मुकाबले मार्च 2015 में 10.90 फीसदी थीं, जो कि मार्च 2016 में बढ़कर 11.40 फीसदी हो गईं। एनपीए के लिए कुल प्रावधान 73,887 करोड़ रुपए से बढ़कर 1,70,630 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इसी तरह बैंकों का शुद्ध लाभ मार्च 2015 में जहां 79,465 करोड़ रुपए पर था वह घटकर मार्च 2016 में 32,285 करोड़ रुपए पर आ गया। उन्होंने कहा कि एनपीए का बढ़ना अच्छी स्थिति नहीं है। यह राशि जो कि कर्ज में फंसी है उसे भी वाणिज्यिक तौर पर वितरण के लिए उपलब्ध होना चाहिए।

रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद राजन 4 सितंबर 2016 को सेवानिवृत हो गए। उन्होंने बैंकों को कर्ज और उसकी वसूली के मामले में अपनी सही स्थिति बताने को मजबूर किया। उन्होंने बैंकों को हर छह माह में अपनी संपत्ति-गुणवत्ता की समीक्षा पर जोर दिया, जिससे कि पिछले वित्त वर्ष में बैंकों की फंसे कर्ज की राशि में काफी वृद्धि हुई। राष्ट्रपति ने कहा, वह खुश हैं कि देश के मूल आधार और मजबूत वृहद आर्थिक संकेतकों से भारतीय अर्थव्यवस्था कमोबेश अच्छा कर रही है।

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