Retail investors participation rises in securities mkt on low interest rate, ample liquidity
नई दिल्ली। खुदरा निवेशकों की रुचि भारतीय पूंजी बाजार में बहुत तेजी से बढ़ रही है। बाजार नियामक सेबी के प्रमुख अजय त्यागी ने गुरुवार को बताया कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान प्रति माह औसतन 24.5 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि निम्न ब्याज दर और पर्याप्त पूंजी उपलब्धता ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनकी वजह से भारत में पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों की रुचि इतनी अधिक बढ़ी है। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि तरलता की कमी या ब्याज दर में बढ़ोतरी बाजार को प्रभावित करेगी।
त्यागी ने बताया कि खुदरा निवेशकों की रुचि भारतीय प्रतिभूति बाजार में 2020-21 से बढ़ना शुरू हुआ है। वित्त वर्ष 2020-21 की शुरुआत में कुल डीमैट खातों की संख्या 4.1 करोड़ थी, जो वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई। वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान प्रत्येक महीने औसत रूप से लगभग 12 लाख नए डीमैट खाते खोले गए, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष में यह संख्या प्रति माह 4.2 लाख थी।
यह रुझान चालू वित्त वर्ष के दौरान भी बना हुआ है। औसत रूप से अप्रैल-जून 2021 के दौरन प्रति माह 24.5 लाख नए डीमैट खाते खोले गए। इक्विटी कैश मार्केट का टर्नओवर 2019-20 के 96.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2020-21 में 164.4 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसमें 70.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
त्यागी के मुताबिक सबसे ज्यादा ट्रेड मोबाइल डिवाइसेस से किए जा रहे हैं और कुल टर्नओवर में इंटरनेट आधारित ट्रेडिंग एक अन्य संकेत है जो बताता है कि रिटेल भागीदारी बढ़ी है। महामारी से प्रभावित वर्ष होने के बावजूद 2020-21 में पूंजी बाजार से 10.12 लाख करोड़ रुपये जुटाये गए। इससे पूर्व वित्त वर्ष में कंपनियों ने 9.96 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे।
उन्होंने बताया कि खुदरा निवेशकों के बीच आईपीओ, आईईआईटी (रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट) और इनविट्स (इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमें ट्रस्ट), ईएसजी (एनवायरमेंट, सोशल और गवर्नेंस) आधारित म्यूचुअल फंड स्कीम और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स काफी लोकप्रिय हैं।
सेबी प्रमुख ने कहा कि नियामक पूंजी बाजार के विकास के लिए कई कदम उठा रहा है एवं और अधिक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपनी मजबूती को बेहतर बना रहा है। ऑनलाइन केवाईसी, सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने को आसान बनाबनाने के लिए कई नीतिगत कदमों, और एक्रीडिटेड इनवेस्टर्स अवधारणा को पेश करने का निर्णय ऐसे कुछ कदम हैं जो पूंजी बाजार के विकास के लिए उठाए गए हैं।
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