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20 हजार करोड़ में से सेबी ने सहारा निवेशकों के 106 करोड़ रुपए लौटाए, कंपनी ने की शेष धन उसे लौटाने की मांग

सहारा समूह का कहना है कि इतने कम दावों का आना उसकी इस बात की पुष्टि करता है कि वह अपने 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को पहले ही सीधे धन वापसी कर चुका है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : September 03, 2019 11:09 IST
Sebi says Rs 106 cr refunded to Sahara investors; Sahara wants 'idle' money back- India TV Paisa
Photo:SAHARA GROUP

Sebi says Rs 106 cr refunded to Sahara investors; Sahara wants 'idle' money back

नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी को सहारा समूह के निवेशकों की ओर से धन वापसी के 20,000 से कम दावे प्राप्त हुए हैं और नियामक ने अभी उसमें से दो तिहाई दावेदारों को कुल 106.10 करोड़ रुपए की वापसी की है। गौरतलब है कि सहारा समूह द्वारा करीब तीन करोड़ निवेशकों से जुटाई गई अनुमानित 24,000 करोड़ रुपए की राशि की वसूली और वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में शुरू की गई प्रक्रिया को छह साल से अधिक हो चुके हैं।

सहारा समूह का कहना है कि इतने कम दावों का आना उसकी इस बात की पुष्टि करता है कि वह अपने 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को पहले ही सीधे धन वापसी कर चुका है। उसका कहना है कि उसने सेबी के पास जो पैसा जमा कराया है वह एक तरह से दोहरा भुगतान है। सहारा का कहना है कि सेबी के पास निष्क्रिय पड़ी उसकी पूंजी उसे लौटाई जानी चाहिए ताकि वह उसका उपयोग अपने कारोबार के विस्तार और नई नौकरियों के सृजन में कर सके।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार सहारा समूह की दो कंपनियों के 13,543 बांडधारकों ने धन वापसी के दावे पेश किए हैं। इन्हें सेबी ने 56.86 करोड़ रुपए मूलधन और 49.24 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर भुगतान किया है। सेबी ने इस धन वापसी के लिए अलग से एक विशेष खाता खोला है, जिसमें सहारा समूह से धन जमा करने के लिए कहा गया था। हालांकि समूह यह दावा करता रहा है कि उसने 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों का धन सीधे वापस कर दिया है।

सेबी ने कहा कि उसने सहारा समूह से अब तक कुल 15,438 करोड़ रुपए की वसूली की है। ऐसा उसने 2013 में नियामक के कई कुर्की आदेशों और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के आधार पर किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार 31 मार्च 2019 तक राष्ट्रीयकृत बैंकों में सहारा द्वारा जमा कराई गई कुल राशि 20,173 करोड़ रुपए है। इस राशि में दावों के निपटान के बाद बचा सहारा से वसूल हुआ धन और उस पर मिला ब्याज शामिल था।

अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सेबी ने कहा कि 31 मार्च 2019 तक उसे 19,547 आवेदन प्राप्त हुए, जो 53,233 खातों से जुड़े हैं। इसमें 38,143 खातों से संबद्ध 13,543 दावों को धन वापसी की गई।  इसके अलावा कुल 17.3 करोड़ रुपए के दावे के 4,000 से अधिक मामले सेबी के पास लंबित हैं। इसी तरह 71.6 लाख रुपए के 254 मामले सहारा के पास और 3.84 करोड़ रुपए से अधिक के 1,000 मामले निवेशकों की तरफ लंबित हैं। कुल 131 आवेदनों को विवादित घोषित किया गया है। इनका कुल मूल्य 50 लाख रुपए से कम है, जबकि 1.57 करोड़ रुपए के 542 आवेदन बंद कर दिए गए क्योंकि इन मामलों में निवेशकों ने नोटिस के जवाब नहीं दिए।

सेबी ने सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्‍वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को 2011 में निवेशकों से जुटाया गया धन वापस लौटाने का आदेश दिया था। बाद में कई दौर की अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने 21 अगस्त 2012 को अपने निर्णय में सेबी के आदेश को सही करार दिया। न्यायालय ने समूह की इन दो कंपनियों के निवेशकों को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ धन लौटाने का आदेश दिया है। निवेशकों ने इन दोनों कंपनियों में वैकल्पिक पूर्णतया हस्तांतरणीय बांड के माध्यम से निवेश किया था।

सहारा समूह के वकील गौतम अवस्थी ने कहा कि सेबी की वार्षिक रिपोर्ट उसकी दो कंपनियों में निवेश करने वाले करीब तीन करोड़ बांडधारकों में से 95 प्रतिशत को पहले ही धन वापसी की बात की पुष्टि करती है। उन्होंने कहा कि यह दोहरे भुगतान का मामला है क्योंकि वह निवेशकों को भुगतान पहले ही कर चुकी है और उतनी ही राशि उसने सेबी के पास जमा कराई है। हमारा सेबी से अनुरोध रहा है कि वह जमीन पर इसका सत्यापन करे जो उसने अभी तक शुरू नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सहारा ने जो रुपया सेबी के पास जमा कराया वह बिना उपयोग किए हुए पड़ा है। उसे यह पैसा वापस चाहिए ताकि वह कारोबार विस्तार कर सके। यह कंपनी, देश की आर्थिक वृद्धि के हितों के खिलाफ है। 

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