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सेवा क्षेत्र का पीएमआई मार्च में वृद्धि के रास्ते पर, रोजगार सृजन सात वर्ष के उच्च स्तर पर

देश के सेवा क्षेत्र में मार्च माह में गतिविधियां तेज हुई हैं। बड़ी मात्रा में नया कामकाज आने के बाद सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों में रोजगार सृजन तेजी से बढ़ा है और यह पिछले सात वर्ष के उच्चस्तर पर पहुंच गया।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Published on: April 05, 2018 14:24 IST
Services PMI- India TV Paisa

Services PMI

नई दिल्ली देश के सेवा क्षेत्र में मार्च माह में गतिविधियां तेज हुई हैं। बड़ी मात्रा में नया कामकाज आने के बाद सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों में रोजगार सृजन तेजी से बढ़ा है और यह पिछले सात वर्ष के उच्चस्तर पर पहुंच गया। निक्केई इंडिया सर्विसेज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स मार्च माह में 50.3 अंक पर पहुंच गया जो कि एक माह पहले फरवरी में 47.8 पर था। इससे मार्च के दौरान सेवा क्षेत्र में गतिविधियों के बेहतर होने का संकेत मिलता है।

सेवा गतिविधियों से जुड़ा यह सूचकांक फरवरी में 50 अंक से नीचे गिर गया था। सूचकांक 50 से ऊपर वृद्धि का संकेत देता है जबकि इससे नीचे गिरावट को दर्शाता है।

आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखक आशना दोधिया ने कहा कि भारत की सेवा क्षेत्र की गतिविधियां तिमाही के आखिर में उठापटक के बाद स्थिर हो गई। नया काम मिलने की रफ्तार बढ़ने से यह स्थिति बनी है। जो संकेत मिले हैं उनसे मांग स्थिति में सुधार का पता चलता है।’

इस बीच मौसम अनुरूप समायोजित निक्केई इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स फरवरी के 49.7 से बढ़कर मार्च में 50.8 अंक पर पहुंच गया। विनिर्माण अैर सेवा दोनों क्षेत्र में वृद्धि से कंपोजिट पीएमआई में सुधार आया है।

दोधिया ने कहा कि कुल मिलाकर फरवरी माह में गतिविधियों में जो गिरावट आई थी वह अल्पकालिक साबित हुई। भारत की सकल आर्थिक गतिविधियां मार्च में वापस वृद्धि के दौर में पहुंच गई। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि ने एक बार फिर सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया। पिछले कुछ माह से यह रूझान बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने और मौजूदा संसाधनों पर दबाव बढ़ने से सेवा प्रदाताओं ने अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना शुरू किया और जून 2011 के बाद इसमें सबसे ज्यादा तेजी आई है।

दोधिया ने कहा कि अर्थव्यवस्था को अधिक से अधिक औपचारिक तंत्र में लाने के सरकार के प्रयासों के प्रतिक्रिया स्वरूप ज्यादा से ज्यादा लोग रोजगार सृजन की तरफ खिंच रहे हैं। ताजा पीएमआई आंकड़ों में इसका संकेत मिलता है। यही वजह है कि रोजगार सृजन में जून 2011 के बाद सबसे ज्यादा तेजी आई है।

इस बीच रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में कटौती के लिए दबाव बढ़ रहा है। खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट और आर्थिक वृद्धि को और गति देने के लिए उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक मुख्य दर में कटौती करेगा।

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