नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि चालू खाते के घाटे (सीएडी) को सीमित करने और विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने के लिए सरकार कुछ और कदमों को उठाने की तैयारी कर रही है। जेटली ने कहा कि सरकार ने सीएडी को सीमित करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं तथा कुछ और कदम उठाए जाने की संभावना है।
हाल में उठाए गए कुछ कदमों की जानकारी देते हुए जेटली ने कहा कि सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ऋण लक्ष्य को घटाकर 70 हजार करोड़ रुपए तक कर दिया है और तेल कंपनियों को एक साल में 10 अरब डॉलर तक का कर्ज सीधे विदेशों से जुटाने की अनुमति दी है।
चालू खाते के घाटे यानी कैड से तात्पर्य देश में आने वाली कुल विदेशी मुद्रा के मुकाबले देश से बाहर जाने वाली विदेशी मुद्रा की मात्रा अधिक होना है। इस अंतर को ही चालू खाते का घाटा कहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से देश के चालू खाते घाटे पर असर पड़ा है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में चालू खाते का घाटा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.4% रहा, जो 2017-18 की इसी तिमाही में 2.5 प्रतिशत था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2018-19 की अप्रैल-जून तिमाही में यह 15.8 अरब डॉलर रहा, जबकि एक साल पहले 2017-18 की इसी तिमाही में यह 15 अरब डॉलर रहा था।
राहुल गांधी की मंशा पर उठाया सवाल
गैर-भाजपा शासित राज्यों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर कर राहत देने से इनकार के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके असंतुष्ट सहयोगियों की मंशा पर सवाल उठाया। जेटली ने कहा कि जब आम आदमी को राहत देने की बात आती है तो लगता है राहुल गांधी और उनके सहयोगी दल केवल ट्वीट करने और टेलीविजन बाइट देने को ही प्रतिबद्ध दिखाई देते हैं।
जेटली ने फेसबुक पर तेल की कीमतें और विपक्ष का पाखंड शीर्षक से एक लेख लिखा है। उन्होंने कहा कि जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो राज्यों को अतिरिक्त कर राजस्व प्राप्त होता है क्योंकि राज्यों में कर मूल्यानुसार लिया जाता है। उन्होंने कहा कि अब ऐसी स्थिति है, जहां कई गैर-भाजपा और गैर-राजग शासित राज्यों ने कर में कटौती कर ग्राहकों को लाभ नहीं पहुंचाया है। लोग इसका क्या निष्कर्ष निकालेंगे।?