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मनी लांड्रिंग पर नजर रखने के लिए पी-नोट्स के नियम कड़े किए गए

सेबी ने पी-नोट्स निवेश के नियमों को कुछ और कड़ा किया है। इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए मनी लांड्रिंग रोधी कानून का पालन अनिवार्य किया गया है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: May 19, 2016 20:58 IST
मनी लांड्रिंग के जरिए भारत में निवेश करना हुआ मुश्किल, सेबी ने पी-नोट्स के नियम किए कड़े- India TV Paisa
मनी लांड्रिंग के जरिए भारत में निवेश करना हुआ मुश्किल, सेबी ने पी-नोट्स के नियम किए कड़े

मुंबई। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने विवादों में रहने वाले पी-नोट्स निवेश के नियमों को कुछ और कड़ा किया है। दूसरे देश से भारतीय पूंजी बाजार में निवेश के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल करने वालों के लिए मनी लांड्रिंग रोधी कानून का पालन अनिवार्य कर दिया गया है। विदेशों में पी-नोट्स जारी करने वालों को भी नियमों के पालन को लेकर सतर्क रहने और रिपोर्ट देने को कहा गया है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर गठित विशेष जांच टीम की सिफारिशों पर आगे कारवाई करते हुए सेबी ने पी-नोट्स जारी करने और उनका हस्तांतरण करने के जांच पड़ताल के नियमों को सख्त बनाया है। इस मामले में मनी लांड्रिग रोधी कानून का अनुपालन हो रहा है अथवा नहीं इसकी जिम्मेदारी निवेशकों पर डाल दी गई है। अपने विदेशी ग्राहाकों को पी-नोट्स जारी करने वाले भारत में पंजीकृत संस्थागत निवेशकों को इस संबंध में समय-समय पर समीक्षा करनी होगी और इन उत्पादों के विभिन्न हाथों में हस्तांतरण की पूरी जानकारी मासिक आधार पर सेबी को देनी होगी।

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पी-नोट्स यानी पार्टिसिपेटरी नोट विदेशों से भारतीय शेयर बाजार में निवेश के एक जरिए के रूप में अक्सर विवादों में रहा है। पी-नोट्स नियमन में किसी भी तरह के बदलाव का आमतौर पर बाजार पर गहरा असर पड़ता है। आज सेबी बोर्ड की बैठक जारी थी, बैठक में पी-नोट्स नियमों को कड़ा बनाए जाने की आशंका में बाजार में तेज गिरावट दर्ज की गई। बैठक के बाद यहां सेबी ने कहा कि उसके निदेशक मंडल की हुई बैठक में विदेशी डेरिवेटिव साधनों को जारी करने और उनके हस्तांतरण पर नियंत्रण बढ़ाने संबंधी नियमों में अतिरिक्त उपायों को मंजूरी दी गई है। देश में आने वाले कुल विदेशी संस्थागत निवेश प्रवाह में 10 से 12 फीसदी प्रवाह पी-नोट्स के जरिए होता है। हालांकि 2007 में शेयर बाजार में आई तेजी के दौरान इनका हिस्सा 50 फीसदी तक पहुंच गया था। मार्च 2016 के अंत में विदेशी डेरिवेटिव साधनों के जरिए कुल 2.2 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया था।

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