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ABG शिपयार्ड घोटाले के सामने PNB फ्रॉड भी लगेगा बौना, जानिए कैसे लगा 28 बैंकों को चूना

एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : February 15, 2022 13:07 IST
ABG Shipyard- India TV Paisa
Photo:FILE

ABG Shipyard

देश में अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है। पानी के जहाज बनाने वाली कंपनी ABG शिपयार्ड पर आरोप है कि कंपनी ने 28 बैंकों के समूह को 22,842 करोड़ का चूना लगाया है। इसे देश के सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला बताया जा रहा है। एबीजी शिपयार्ड का घोटाला नीरव मोदी और मेहुल चौकसी द्वारा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले से भी बड़ा है। 

फिलहाल, इस मामले में एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, उसके चेयरमैन ऋषि अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। वित्त मंत्री ने इस मामले में यूपीए सरकार पर दोष मढ़ा है। आइए जानते हैं कि आखिर देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला क्या है, कब इसकी शुरुआत हुई और यहां क्या खेल हुआ?

क्या है ABG शिपयार्ड घोटाला?

ये दावा 2007 में गुजरात विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है। 2007 में गुजरात सरकार के जरिए ABG शिपयार्ड को गलत तरीके से आधे से भी कम दाम में 1.21 लाख स्क्वायर मीटर ज़मीन दी गई थी। उस समय वहां पर कॉर्पोरेशन का दाम 1400 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर चल रहा था। लेकिन तब ABG शिपयार्ड को मात्र 700 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर में जमीन दी गई। बता दें कि ये वो वक्त था जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे।

क्या कहा गया कैग रिपोर्ट में 

कैग ने रिपोर्ट में दावा किया है कि ABG शिपयार्ड को सस्ते में जमीन देने की वजह से राज्य सरकार को 8.46 करोड़ की आय गंवानी पड़ी थी। कहा गया है कि ABG कोई संस्थान नहीं है, ऐसे में उसे किसी भी आधार पर कोई रियायत नहीं दी जा सकती। लेकिन इस मामले में जीआईडीसी के ज़रिए 50% के दाम में जमीन बेच दी गई और राज्य सरकार को 8.46 करोड़ की आय का नुकसान हुआ।

गुजरात सरकार का क्या है कहना?

अब जो आरोप लगे हैं, उसका जवाब भी तब सरकार द्वारा कैग रिपोर्ट में ही दिया गया था। 2010 में दावा किया गया कि गुजरात मेरीटाइम बोर्ड और ABG शिपयार्ड के बीच एक करार हुआ था। उस करार के तहत मेरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शुरू करने की तैयारी थी। एक MoU भी किया गया था और उसी वजह से जमीन को कम दाम में देने का फैसला हुआ।

क्या बोलीं वित्त मंत्री?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है एबीजी शिपयार्ड का खाता पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में एनपीए (गैर-निष्पादित आस्ति) हुआ था और बैंकों ने औसत से कम समय में इसे पकड़ा और अब इस मामले में कार्रवाई चल रही है। गौरतलब है कि SBI की अगुवाई वाले 28 बैंकों के एक संघ से 22,842 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का आरोप एबीजी शिपयार्ड पर लगाया है। सीतारमण ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, इस मामले में बैंकों को श्रेय मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि आमतौर पर बैंक इस तरह के मामलों को पकड़ने में 52 से 56 माह का समय लेते हैं और उसके बाद आगे की कार्रवाई करते हैं। 

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