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Disinvestment: इस साल बिक जाएंगी ये 5 दिग्गज सरकारी कंपनियां, जानिए कौन-कौन हैं लिस्ट में शामिल

सरकार इस साल एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) और ओएनजीसी (ONGC) के ऑफ फॉर सेल (OFS) से 23,574 करोड़ रुपये की रकम जुटा चुकी है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: June 02, 2022 17:35 IST
Disinvestment- India TV Paisa
Photo:FILE

Disinvestment

Highlights

  • केंद्र सरकार का 2022—23 के लिए 65,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य है
  • LIC IPO और ONGC के OFS से 23,574 करोड़ रुपये की रकम जुटा चुकी है
  • IDBI Bank, शिपिंग कॉरपोरेशन और बीईएमएल लिमिटेड की बिक्री इसी वित्त वर्ष में

विनिवेश के लक्ष्य से पिछले साल चूकी सरकार इस बार कदम फूंक फूंक कर रख रही है। इस साल सरकार 3 बड़ी सरकारी कंपनियों को बेचने की योजना बना रही है। सरकार को उम्मीद है कि इन कंपनियों को बेचने से वह 2022—23 में अपना 65,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य (disinvestment target) प्राप्त कर लेगी। 

सरकार जिन कंपनियों को बेचने में सबसे ज्यादा तत्पर दिख रही है, उसमें आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Shipping Corporation of India) और बीईएमएल लिमिटेड (BEML Ltd) शामिल है। इससे पहले सरकार इस साल एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) और ओएनजीसी (ONGC) के ऑफ फॉर सेल (OFS) से 23,574 करोड़ रुपये की रकम जुटा चुकी है। 

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Image Source : INDIATV
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विनिवेश की कतार में हैं ये कंपनियां

एक बिजनेस टेलिविजन में प्रदर्शित खबर के अनुसार सरकार जोर शोर से विनिवेश की तैयारी कर रही है। सरकार ने बड़ी कंपनियों को विनिवेश के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। इसमें कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Container Corporation of India) और हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc Ltd) का भी विनिवेश मार्च, 2023 से पहले शुरू किया जाएगा। लेकिन सबसे पहले आईडीबीआई बैंक, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और बीईएमएल लिमिटेड की बिक्री इस वित्त वर्ष में पूरी हो जाएगी। IDBI Bank में सरकार की हिस्सेदारी 45.5 फीसदी है। बैंक में एलआईसी की हिस्सेदारी 49.24 फीसदी और नॉन-प्रमोटर शेयरहोल्डिंग 5.29 फीसदी है।

पिछले साल भी चूका था लक्ष्य 

बीते कई साल से सरकार विनिवेश के लक्ष्य से चूक रही है। सरकार ने पिछले साल विनिवेश लक्ष्य को संशोधित कर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया था। लेकिन एलआईसी के आईपीओ में देरी के कारण सरकार इसे हासिल नहीं कर पाई थी। कैबिनेट ने पिछले हफ्ते हिंदुस्तान जिंक में सरकार की 29.58 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इससे सरकार को 38,000 करोड़ रुपये मिल सकते हैं।

भारत पेट्रोलियम को नहीं मिला खरीदार 

सरकार देश की प्रमुख तेल विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम यानि बीपीसीएल को बेचने की तैयारी में थी। लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण सरकार को बीपीसीएल की बिक्री का फैसला टालना पड़ा है। पिछले हफ्ते डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (DIPAM) की बिक्री प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

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