Monday, March 17, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. बैंक के दिवालिया होने पर ग्राहकों को 5 लाख से ज्यादा रकम देने पर हो रहा विचार, प्रस्ताव पर चल रहा काम

बैंक के दिवालिया होने पर ग्राहकों को 5 लाख से ज्यादा रकम देने पर हो रहा विचार, प्रस्ताव पर चल रहा काम

जमा बीमा दावा तब शुरू होता है जब कोई ऋणदाता यानी बैंक डूब जाता है। जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Feb 17, 2025 16:58 IST, Updated : Feb 17, 2025 17:04 IST
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के सामने आने के कुछ ही दिन बाद सरकार अब इस पर विचार कर रही है।
Photo:FILE न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के सामने आने के कुछ ही दिन बाद सरकार अब इस पर विचार कर रही है।

मौजूदा नियम के मुताबिक, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है या लाइसेंस रद्द हो जाता है तो ग्राहक अपने अकाउंट से मैक्सिमम 5 लाख रुपये तक (जमा बीमा सीमा) निकाल सकते हैं। लेकिन ताजा खबर यह है कि सरकार अब इस 5 लाख रुपये की लिमिट को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि सरकार जमा बीमा सीमा को मौजूदा 5 लाख रुपये से आगे बढ़ाने पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है।

प्रस्ताव पर काम चल रहा

खबर के मुताबिक, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के सामने आने के कुछ ही दिन बाद सरकार अब इस पर विचार कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने घोषणा की कि इस तरह के प्रस्ताव पर काम चल रहा है। जब सरकार मंजूरी देगी, हम इसे नोटिफाई करेंगे। हालांकि, उन्होंने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में संकट पर बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि आरबीआई इस मामले पर विचार कर रहा है।

2020 में बढ़ाई गई थी सीमा

जमा बीमा दावा तब शुरू होता है जब कोई ऋणदाता यानी बैंक डूब जाता है। पिछले कुछ सालों में, जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है। यह निकाय अपने द्वारा दिए जाने वाले कवर के लिए बैंकों से प्रीमियम इकट्ठा करता है, और सहकारी बैंकों के मामले में अधिकांश दावे करने पड़ते हैं। पीएमसी बैंक घोटाले के बाद, 2020 में डीआईसीजीसी बीमा सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आरबीआई की निगरानी में अच्छी तरह से विनियमित है और इस क्षेत्र के समग्र स्वास्थ्य को मजबूत बताया।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के मामले में क्या कहा गया

आर्थिक मामलों के सचिव कहा कि एक यूनिट में संकट से किसी को भी पूरे क्षेत्र पर संदेह नहीं करना चाहिए। नियामक का काम गलत संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करना है। रिपोर्ट के मुताबिक, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में से 90 प्रतिशत की पूरी रकम डीआईसीजीसी के तहत कवर होगी। बैंक में घोटाले का पता एक भौतिक निरीक्षण के दौरान चला, जिसमें पता चला कि पुस्तकों में दिखाए गए 122 करोड़ रुपये की नकदी गायब है। जांच में पता चला कि बैंक के वित्त महाप्रबंधक हितेश मेहता ने कथित तौर पर गबन की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा एक स्थानीय बिल्डर को दे दिया था।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement