Saturday, December 20, 2025
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Dollar vs Rupee: RBI के एक्शन से पलटी बाजी, 91 के पार से जोरदार रिकवरी कर 89 पर लौटा रुपया

शुक्रवार को रुपये ने डॉलर के मुकाबले पिछले तीन सालों की सबसे बड़ी रिकवरी दर्ज की। दिन के कारोबार में रुपये ने करीब 2% तक की मजबूती दिखाई और आखिरकार 89.27 के स्तर पर बंद हुआ। यह एक ही दिन में 1.1% की बड़ी छलांग मानी जा रही है।

Edited By: Shivendra Singh
Published : Dec 20, 2025 06:57 am IST, Updated : Dec 20, 2025 06:57 am IST
डॉलर के मुकाबले मजबूत...- India TV Paisa
Photo:FREEPIK डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ रुपया

पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा बाजार में जो कुछ हुआ, उसने निवेशकों से लेकर आम आदमी तक सभी का ध्यान खींचा। हफ्ते की शुरुआत में जब डॉलर के मुकाबले रुपया 91 के पार फिसल गया, तो यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं था, बल्कि महंगे इंपोर्ट, बढ़ती महंगाई और कमजोर होती अर्थव्यवस्था की आशंका का संकेत माना जाने लगा। बाजार में बेचैनी बढ़ गई, ट्रेडर्स सतर्क हो गए और निवेशकों की नजर सीधे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर टिक गई। और फिर शुक्रवार को ऐसा पलटा कि तस्वीर ही बदल गई।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन रुपया ने जोरदार वापसी करते हुए डॉलर के मुकाबले करीब 2% की मजबूती दिखाई। यह बीते तीन सालों की सबसे बड़ी एकदिनी रिकवरी मानी जा रही है। शुक्रवार को रुपया 89.27 के स्तर पर बंद हुआ, जो एक दिन पहले की तुलना में 1.1% की बड़ी छलांग है। कुछ ही घंटों में 91 के पार कमजोर दिख रहा रुपया फिर से मजबूत नजर आने लगा। इस रिकवरी के पीछे सबसे बड़ी वजह RBI का आक्रामक एक्शन रहा।

कैसे हुई रिकवरी

केंद्रीय बैंक ने सरकारी बैंकों के जरिए भारी मात्रा में डॉलर की बिक्री की, जिससे बाजार में साफ संदेश चला गया कि रुपये के खिलाफ एकतरफा सट्टेबाजी अब आसान नहीं होगी। इस कदम का असर इतना तेज था कि महज तीन मिनट के भीतर रुपया 89.25 के हाई लेवल तक पहुंच गया। हाल के वर्षों में इतनी तेज और निर्णायक रिकवरी कम ही देखने को मिली है। असल में, बाजार में कुछ सट्टेबाज रुपये के और कमजोर होने की उम्मीद में बड़ी पोजिशन बना चुके थे। RBI का मकसद इन्हीं पोजिशनों को तोड़ना था। बुधवार को भी केंद्रीय बैंक ने दखल दिया था, लेकिन शुक्रवार की कार्रवाई ने सट्टेबाजों की रणनीति पूरी तरह उलट दी। इसके साथ ही RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का यह बयान भी अहम रहा कि बैंक ने रुपये के लिए कोई तय ‘टारगेट लेवल’ नहीं रखा है। इससे यह साफ संकेत मिला कि RBI जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करेगा, लेकिन बाजार की ताकतों को भी काम करने देगा।

विदेशी निवेशकों का बदला रुख

रुपये की मजबूती के पीछे विदेशी निवेशकों का बदला रुख भी अहम कारण बना। लंबे समय से बिकवाली कर रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार में खरीदारी की है, जिसे अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत माना जा रहा है। आगे की राह की बात करें तो मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि RBI की एक्टिव मौजूदगी के चलते निकट भविष्य में रुपये में ज्यादातर उतार-चढ़ाव की संभावना कम है। 89.25 का स्तर सपोर्ट के रूप में और 89.90 के आसपास ऊपरी सीमा अहम मानी जा रही है।

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