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कारोबारी शह-मात के खेल में चित हुए मुकेश अंबानी, सरकारी कंपनियों ने RIL को पहली बार दी पटखनी, लेंगे ये बड़ा फैसला

सरकारी कंपनियों द्वारा तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी न करने से उसे 700 करोड़ का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 16 मार्च, 2022 तक उद्योग को पेट्रोल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से 13.08 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : May 23, 2022 16:45 IST
Mukesh Ambani- India TV Paisa
Photo:FILE

Mukesh Ambani

Highlights

  • रिलायंस को तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी न करने से 700 करोड़ का भारी नुकसान
  • पेट्रोल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से 13.08 रुपये प्रति लीटर का नुकसान
  • सरकारी तेल कंपनियां निजी कंपनियों के पैर उखाड़ रही हैं

कच्चे तेल की ऊंची कीमत से आम आदमी ही परेशान नहीं है, बल्कि तेल कारोबार से जुड़ी कंपनियों का धंधा चौपट हो रहा है। भारत में तेल कारोबार मुख्यत: सरकारी कंपनियों के हाथ में है। लेकिन निजी क्षेत्र की कंपनियां जैसे रिलायंस भी अपने पेट्रोल पंप के साथ इस मार्केट में जमी हुई है। लेकिन सरकारी तेल कंपनियों द्वारा निर्देशित कीमतें निजी कंपनियों के पैर उखाड़ रही हैं। सबसे बुरे हाल रिलायंस बीपी जैसी कंपनियों के हैं, जिसने अपने पंप बंद करने की धमकी दी है। 

रिलायंस ने बताया है कि सरकारी कंपनियों द्वारा तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी न करने से उसे 700 करोड़ का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 16 मार्च, 2022 तक उद्योग को पेट्रोल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से 13.08 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था। अब यह घाटा और भी बढ़ गया है। 

हर लीटर पर 24 रुपये का नुकसान 

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के अनुरूप दाम नहीं बढ़ाए हैं। इससे फरवरी, 2022 से ईंधन का खुदरा कारोबार करने वाली कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है। 16 मार्च, 2022 तक उद्योग को पेट्रोल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से 13.08 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था। वहीं डीजल पर यह नुकसान 24.09 रुपये प्रति लीटर था। एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि मंत्रालय जल्द आरबीएमएल के पत्र का जवाब देगा। हालांकि, सूत्र ने यह नहीं बताया कि मंत्रालय का जवाब क्या होगा।

बंद करेगी पेट्रोल पंप?

रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी के संयुक्त उद्यम-RBML ने सरकार से कहा है कि भारत में निजी क्षेत्र के लिए पेट्रोल डीजल का रिटेल बिजनेस कर पाना अब  आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रह गया है। कंपनी का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का ईंधन बाजार पर नियंत्रण है और वे पेट्रोल और डीजल का दाम लागत से नीचे ले आती हैं। इससे निजी क्षेत्र के लिए इस कारोबार में टिके रहना संभव नहीं है। 

कीमतें काबू करने से बढ़ी परेशानी 

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) ने पहले नवंबर, 2021 से रिकॉर्ड 137 दिन तक पेट्रोल और डीजल के दाम को बरकरार रखा। उस समय उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। पिछले महीने से फिर पेट्रोल, डीजल कीमतों में वृद्धि को रोक दिया गया है। यह सिलसिला अब 47 दिन से जारी है। 

सरकार को लिखा खत

एक उच्चपदस्थ सूत्र ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उन्होंने (रिलायंस बीपी मोबिलिटी लि.) ईंधन मूल्य के मुद्दे पर पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखा है।’’ आरबीएमएल अपने खुदरा परिचालन में कटौती कर रही है जिससे हर महीने होने वाले नुकसान में कुछ कमी लाई जा सके। कंपनी को पेट्रोल और डीजल की लागत से कम मूल्य पर बिक्री से हर महीने 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वहीं दूसरी ओर रूस की रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में पेट्रोल और डीजल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए हैं, जिससे वह अपने कुछ नुकसान की भरपाई कर सके।

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