Tuesday, March 18, 2025
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RBI की कटौती के बाद क्या तुरंत FD पर ब्याज घटाएंगे बैंक? जवाब- नहीं, जानें इसकी वजह

बहुत सारे एक्सपर्ट का कहना है कि आरबीआई की कोशिश के बावजूद अधिकांश बैंक लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहे हैं। इसलिए वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे कि लोग एफडी कराने में कमी लाएं।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Feb 08, 2025 7:40 IST, Updated : Feb 08, 2025 7:40 IST
FD
Photo:FILE एफडी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने करीब 5 साल बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर इसे 6.25% पर ला दिया है। इसके बाद चर्चा का बाजार गर्म है कि होम, कार लोन समेत सभी लोन सस्ते होंगे और फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में कटौती होगी। हालांकि, बहुत सारे एक्सपर्ट का मनना है कि ऐसा फौरी तौर पर नहीं होने जा रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पिछला ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो बैंकों ने आरबीआई की कटौती के बाद भी सस्ते लोन का तोहफा देने काफी समय लगाया। इतना ही नहीं, आरबीआई द्वारा की गई कटौती का पूरा लाभ अपने कस्टमर को पास नहीं किया। इसके चलते इस बार इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती है कि तुरंत इस कटौती का लाभ बैंक अपने कस्टमर को दे देंगे। 

लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहे हैं बैंक 

बहुत सारे एक्सपर्ट का कहना है कि आरबीआई की कोशिश के बावजूद अधिकांश बैंक लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहे हैं। इसलिए वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे कि लोग एफडी कराने में कमी लाएं। इसलिए तुरंत एफडी पर ब्याज दरों में कमी होने की कोई संभावना नहीं है। हां, अगली पॉलिसी में अगर RBI एक और कटौती करेगा तो उसके बाद FD पर ब्याज दरों में कमी देखने को मिल सकती है। FD पर पहले छोटी अवधि की ब्याज दरों में कटौती होगी। लंबी अवधि की एफडी पर बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। 

छोटी अवधि की एफडी करा लेने में समझदारी 

जानकारों का कहना है कि 1 से 3 साल की एफडी करा लेने में समझदारी है। अगर बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कमी करेंगे भी तो सबसे पहले छोटी अवधि की एफडी पर करेंगे। इसलिए समय रहते एफडी करा लेना फायदेमंद होगा। निवेशकों को ध्यान देना चाहिए कि RBI द्वारा हाल ही में की गई 25 आधार अंकों की कटौती पिछले चार वर्षों के उच्च ब्याज दर वाले माहौल से अलग होने का संकेत है। इस अवधि में लगातार ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखी गई, जिसके कारण ऋण दरों में वृद्धि हुई, साथ ही बचतकर्ताओं के लिए सावधि जमा (FD) भी अधिक आकर्षक हो गए। बढ़ती उधारी लागतों के बीच जमा को आकर्षित करने और तरलता बनाए रखने के लिए, बैंकों को उच्च FD दरों की पेशकश करनी पड़ी।

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