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BSNL, MTNL के पास नहीं है बिजली बिल चुकाने का पैसा, DoT ने राज्‍य सरकारों से बिजली न काटने को कहा

विभाग ने कहा कि दोनों कंपनियां अगले महीने से शुरू हो रहे आम चुनावों के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही हैं, ऐसे में बकाये के कारण बिजली कनेक्शन नहीं काटा जाए।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: March 25, 2019 13:58 IST
BSNL and MTNL- India TV Paisa
Photo:BSNL AND MTNL

BSNL and MTNL

नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने राज्य सरकारों से लंबित बकाये के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की बीएसएनएल और एमटीएनएल को दी जा रही बिजली नहीं काटने का आग्रह किया है। विभाग ने कहा कि दोनों कंपनियां अगले महीने से शुरू हो रहे आम चुनावों के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं दे रही हैं, ऐसे में बकाये के कारण बिजली कनेक्शन नहीं काटा जाए।

बीएसएनएल पहले ही बिजली मद में बकाया 90 प्रतिशत का भुगतान कर चुकी है और शेष अगले 15 से 20 दिनों में पूरा करने की उम्मीद कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग की तरफ से एक पत्र राज्य के प्रमुख सचिवों को भेजा गया है। पत्र में उनसे एमटीएनएल और बीएसएनएल को मिलने वाली बिजली नहीं काटने का आग्रह किया गया है। इसका कारण यह है कि कंपनियां चुनावों का प्रबंधन करने के लिए राज्य मशीनरी को महत्वपूर्ण सेवा उपलब्ध करा रही हैं।  

इस बारे में संपर्क किए जाने पर बीएसएनएल के चेयरमैन तथा प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि हमने बिजली कनेक्शन मद में कुल बकाये में से 90 प्रतिशत का भुगतान कर दिया है। अब करीब 250 करोड़ रुपए का भुगतान करना शेष बचा है। इसे अगले 15 से 20 दिनों में चुका दिया जाएगा। कुछ जगहों पर बिजली काटी गई थी लेकिन उसे अब बहाल कर दिया गया है। 

एमटीएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने कहा कि एमटीएनएल के ऊपर कोई बिजली बिल बकाया नहीं है। फरवरी अंत तक के सभी भुगतान किए जा चुके हैं। बीएसएनएल और एमटीएनएल दोनों अपने कर्मचारियों को फरवरी महीने का वेतन नहीं दे पाए  थे। 

सरकार ने फरवरी महीने का वेतन भुगतान के लिए नकदी संकट से जूझ रही एमटीएनएल को 171 करोड़ रुपए का लंबित बकाया जारी किया, जबकि बीएसएनएल ने आंतरिक संसाधनों से करीब 850 करोड़ रुपए बकाये वेतन का भुगतान किया। दूरसंचार क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच सार्वजनिक क्षेत्र की दोनों कंपनियों ने सरकार से वित्तीय समर्थन को लेकर संपर्क साधा है लेकिन केंद्र ने इस बारे में अबतक कोई निर्णय नहीं किया है। 

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