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Retirement Investment: रिटायरमेंट पर मिलेंगे 50 लाख रुपये? पैसों को इस तरह करें इन्वेस्ट, मिलती रहेगी रेगुलर इनकम!

रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल सेफ्टी हर व्यक्ति की सबसे बड़ी चिंता बन जाती है। 50 लाख रुपये जैसे फंड को सही तरीके से मैनेज किया जाए तो यह रिटायरमेंट के अगले 25-30 सालों के खर्चों को आसानी से पूरा कर सकता है।

Edited By: Shivendra Singh
Published : Oct 09, 2025 12:01 am IST, Updated : Oct 09, 2025 12:01 am IST
Retirement planning,- India TV Paisa
Photo:CANVA रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम कैसे मिलेगी।

अक्सर लोग रिटायरमेंट के बाद अपने खर्चों को लेकर चिंतित रहते हैं। लेकिन अगर 50 लाख रुपये के फंड को सही रणनीति और अनुशासन के साथ मैनेज किया जाए, तो अगले 25-30 सालों के खर्च आसानी से पूरे किए जा सकते हैं। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि सबसे पहले यह तय करना जरूरी है कि हर महीने कितनी मंथली इनकम की जरूरत होगी और उसी हिसाब से निवेश की रणनीति बनाई जाए।

एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी सूरत में कैपिटल को डूबने नहीं देना चाहिए। इसके लिए फिक्स्ड डिपॉजिट्स, सेक्योर्ड हाई रेटिंग वाले बॉन्ड्स, सीनियर सिटीजंस स्कीम, एन्युटी और डेट म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना बेहतर रहेगा। इनसे लगभग 8 फीसदी सीएजीआर रिटर्न मिल सकता है। हालांकि, केवल फिक्सड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स पर निर्भर रहने से पैसा लंबे समय में महंगाई और टैक्स के कारण कम पड़ सकता है।

इक्विटी में इन्वेस्टमेंट

इसीलिए एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि निवेश का 25-40 फीसदी हिस्सा इक्विटी में लगाया जाए। वेल्थ मैनेजमेंट फर्म एयूएम वेल्थ के फाउंडर अमित सूरी के अनुसार, विड्रॉल रेट को इक्विटी एसेट के ग्रोथ रेट से कम रखना चाहिए। इसके लिए म्यूचुअल फंड के सिस्टमैटिक विड्रॉल प्लान (SWP) का इस्तेमाल स्मार्ट तरीका है। लार्ज-कैप फंड्स, बैलेंस्ड फंड्स और मल्टी एसेट ऐलोकेशन फंड्स में इन्वेस्टमेंट सुरक्षित और फायदेमंद रहेगा।

इक्विटी ऐलोकेशन

इक्विटी ऐलोकेशन से लंबी अवधि में करीब 12 फीसदी सीएजीआर रिटर्न मिल सकता है। मल्टी एसेट फंड्स और डायनेमिक एसेट ऐलोकेशन फंड्स ‘ऑल-सीजन फंड्स’ माने जाते हैं, जिनमें शेयर, डेट, गोल्ड और सिल्वर में इन्वेस्टमेंट की लचीलापन रहती है। टैक्स के मामले में भी इक्विटी निवेश लाभदायक है। नई टैक्स रीजीम के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम टैक्स-फ्री है, जबकि कैपिटल गेंस पर लॉन्ग टर्म में 12.5 फीसदी और शॉर्ट टर्म में 20 फीसदी टैक्स लगेगा।

फिक्स्ड इनकम

इस तरह इन्वेस्टर्स फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो से सालाना करीब 4.8 लाख रुपये प्राप्त कर सकते हैं और बाकी रकम SWP के जरिए इक्विटी फंड्स से आती रहेगी। इस बैलेंस एप्रोच से न केवल हर महीने नियमित इनकम मिलती रहेगी, बल्कि निवेश पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा और कंपाउंडिंग के फायदे से फंड अगले 25-30 साल तक सेफ रह सकता है।

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