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Loan लेने के बाद मौत हो जाए तो किसे भरना होगा पैसा, वसूली के लिए किस हद तक जा सकते हैं बैंक

होम लोन और कार लोन जैसी परिस्थितियों में बैंक खरीदे गए और गाड़ी को सीज कर लेते हैं। बाद में इस घर और गाड़ी को बेचने के लिए नीलामी आयोजित की जाती है। नीलामी में प्रॉपर्टी बिकने के बाद बैंक अपने लोन की वसूली करते हैं। इनके अलावा, किसी अन्य लोन में बैंक कर्जदार मृतक की अन्य प्रॉपर्टी भी सीज कर उसे बेच सकते हैं।

Written By: Sunil Chaurasia
Published : Jan 23, 2025 11:29 IST, Updated : Jan 23, 2025 11:29 IST
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Photo:PTI मृतक की प्रॉपर्टी को सीज कर बेच सकता है बैंक

Loan Recovery: मौजूदा समय में कई जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन की जरूरत पड़ती है। लोग घर-मकान, बिजनेस, गाड़ी आदि के लिए बैंकों से लोन लेते हैं और उसे ब्याज के साथ चुकाते हैं। कोई भी बैंक किसी व्यक्ति को लोन देने से पहले उसकी फाइनेंशियल हिस्ट्री चेक करता है और पूरी तरह से आश्वस्त होने के बाद ही लोन देता है। अगर लोन लेने वाले किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ये परिस्थिति बैंकों के लिए भी काफी पेचीदा हो जाती है। यहां हम जानेंगे कि लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाने की स्थिति में बैंक कैसे वसूली करता है।

मृतक की प्रॉपर्टी सीज कर बेच सकता है बैंक

टाटा कैपिटल के मुताबिक, अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिती में बैंक सबसे पहले उस लोन के को-ऐप्लिकैंट्स से संपर्क करते हैं। अगर लोन का को-ऐप्लिकैंट भी लोन चुकाने में असमर्थ है तो बैंक गारंटर, मृतक के परिजनों या कानूनी उत्तराधिकारी से संपर्क करते हैं और बचे हुए बकाये की समय पर रीपेमेंट के लिए कहते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति उस लोन की भरपाई नहीं कर पाते हैं तो बैंक मृतक की प्रॉपर्टी को सीज कर सकते हैं और उसे बेचकर बकाये लोन के पैसों की वसूली करते हैं।

बद से बद्तर स्थिति से निपटने के लिए ये एक कदम हो सकता है कारगर

होम लोन और कार लोन जैसी परिस्थितियों में बैंक खरीदे गए और गाड़ी को सीज कर लेते हैं। बाद में इस घर और गाड़ी को बेचने के लिए नीलामी आयोजित की जाती है। नीलामी में प्रॉपर्टी बिकने के बाद बैंक अपने लोन की वसूली करते हैं। इनके अलावा, किसी अन्य लोन में बैंक कर्जदार मृतक की अन्य प्रॉपर्टी भी सीज कर उसे बेच सकते हैं। इस तरह की स्थिति, कर्जदार के परिवार के लिए काफी खराब हो जाती है। इसलिए लोगों को कोशिश करनी चाहिए कि वे अपने लिए कम से कम 1 करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस भी कराएं। ताकि मौत होने पर टर्म इंश्योरेंस से मिलने वाले पैसों से लोन की भरपाई की जा सके।

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