अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का असर अब ठोस रूप में दिखाई देने लगा है। 27 अगस्त 2025 से लागू हुए इन भारी शुल्कों ने शुरुआत में भारतीय निर्यातकों को झटका जरूर दिया, लेकिन भारतीय उद्योगों ने तेजी से अपनी रणनीति बदलकर नए बाजारों की ओर रुख कर लिया है।
भारत के लिए अमेरिका से आई यह खबर किसी झटके से कम नहीं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मई से सितंबर 2025 के बीच अमेरिका को भारत का एक्सपोर्ट 37.5% तक लुढ़क गया है।
गैर-अमेरिकी बाजारों में भारत का निर्यात सितंबर में 10.9 प्रतिशत बढ़ा, जो अगस्त, 2025 में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि से काफी बेहतर है।
निर्यातकों के अनुसार, भारत में ब्याज दरें आठ से 12% या उससे भी अधिक होती हैं। प्रतिस्पर्धी देशों में, ब्याज दर बहुत कम है। चीन में केंद्रीय बैंक की दर 3.1% , मलेशिया में तीन प्रतिशत, थाईलैंड में दो प्रतिशत और वियतनाम में 4.5% है।
भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। भारतीय दल इस समझौते के लिए पांचवें दौर की बातचीत के लिए वाशिंगटन में है।
चीन से आयात पर अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से भारत को अमेरिका में निर्यात के बड़े अवसर मिलते हैं। बढ़े टैरिफ चीन से अमेरिका को निर्यात को प्रभावित करेंगे क्योंकि इससे अमेरिकी बाजार में उनके सामान की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी बन जाएंगे।
भारतीय एक्सपोर्टर्स ने कहा कि बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति सभी निर्यातकों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। हम चाहते हैं कि स्थिति जल्द स्थिर हो जाए और सामान्य कारोबार दोबारा शुरू हो।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में देश का आयात भी सालभर पहले की तुलना में करीब 14 प्रतिशत घटकर 49.9 अरब डॉलर पर आ गया।
दोनों देशों के बीच बुरे संबंधों से सिर्फ पाकिस्तान के कारोबारी ही नहीं प्रभावित हुए बल्कि इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ा है।
देश का निर्यात जुलाई महीने में 14.32 प्रतिशत बढ़कर 25.77 अरब डॉलर रहा। इससे पिछले महीने में यह 22.54 अरब डालर था। e
चीन को भारत से निर्यात इस साल के पहले चार महीने में 20 प्रतिशत बढ़कर 5.57 अरब डॉलर हो गया। कई साल की गिरावट के बाद इस निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है
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