कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार और एक लाख टन चना और मसूर दाल का आयात करने का फैसला किया है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बनेगा।
2015-16 में दलहनों का उत्पादन 4% घटकर 1.647 करोड़ टन रह गया। वहीं गेहूं की बंपर फसल के चलते देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन मामूली बढ़कर 25.222 करोड़ टन रहा।
मानसून अच्छा रहने से मौजूदा खरीफ सत्र में दलहन का बुवाई क्षेत्र अभी तक 41 फीसदी बढ़कर 110.35 लाख हेक्टेयर हो गया है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि भारत दालों के आयात के लिए म्यांमा और कुछ अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत कर रहा है।
देश के किसान दलहन की बड़े पैमाने पर बुवाई कर रहे हैं। खरीफ सत्र 2016-17 में इस फसल की खेती का रकबा अब तक करीब 39 फीसदी बढ़कर 90.17 लाख हेक्टेयर हो गया है
कृषि मंत्रालय के मुताबिक मानसून की बेहतर शुरुआत के साथ वर्ष 2016-17 के खरीफ सत्र में अभी तक दाल बुवाई का रकबा 28 फीसदी बढ़कर 71.07 लाख हेक्टेयर हो गया है।
दालों के दाम 200 रुपए किलो तक पहुंचने के बीच सरकार ने कहा कि वह कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जमाखोरों के खिलाफ विभिन्न उपाय कर रही है।
किसानों के अन्य फसलों की ओर से रुख बदलने की वजह से सत्र 2015-16 में कपास का उत्पादन घटकर 338 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है।
दालों की कीमतों पर काबू पाने और डिमांड के मुकाबले सप्लाई की खाई को कम करने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक का आकार 8लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन कर दिया है।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि बेहतर मानसून के कारण चालू फसल वर्ष में दलहन का उत्पादन 18 प्रतिशत बढ़कर दो करोड़ टन हो सकता है।
अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है।
घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत के द्वारा करीब 50 लाख टन दलहन का आयात किए जाने की संभावना है।
उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने NCCF को निर्देश दिया कि वह दिल्ली में चना दाल की बिक्री 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से करे।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि दलहन का रकबा घटने और उत्पादन पर्याप्त नहीं होने की वजह से दालों की कीमतों में तेजी आई है।
दलहन की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने को लेकर दवाब का सामना कर रहे भारत को मोजाम्बिक सरकार के साथ एक दीर्घावधिक समझौते की पूरी उम्मीद है।
दलहन की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल मोजांबिक भेजा है जो सरकारी स्तर पर इसके आयात के लिए पहलों की संभावना तलाशेगा।
दालों का आयात केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की जांच के घेरे में आ गया है। दाम में तेजी के लिये किसी भी प्रकार की कालाबाजारी तथा साठगांठ पर अंकुश लगाना है।
दाल की लगातार बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है।
दालों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वायदा बाजारों में चने के नए अनुबंधों पर रोक लगा दी है।
दलहन की कीमत आज 200 रुपए किलो के करीब पहुंच गई। इसको देखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की सीमा पांच गुना बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।
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