उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में लगभग आधी हिस्सेदारी रखने वाली खाने-पीने की चीजों की कीमतें सितंबर के -2.28% की तुलना में घटकर -5.02% रह गईं।
विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई में यह बड़ी गिरावट RBI को भविष्य में नीतिगत दरों पर नरम रुख अपनाने के लिए अधिक गुंजाइश प्रदान कर सकती है।
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में आठ साल के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। बावजूद, खाद्य पदार्थों और मुख्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी की वजह से, अगस्त में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी देखी गई।
अमेरिका में इस साल के अंत तक, खाद्य कीमतों में 3.4% की बढ़ोतरी का अनुमान है, जो 20 साल के ऐतिहासिक औसत 2.9% से भी ज्यादा है।
मई 2025 की तुलना में जून 2025 की मुख्य मुद्रास्फीति में 72 बेसिस पॉइंट्स (0.72 प्रतिशत) की गिरावट आई है। ये जनवरी 2019 के बाद साल-दर-साल सबसे कम मुद्रास्फीति है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों में बताया गया है कि मई में खाद्य मुद्रास्फीति 0.99 प्रतिशत थी, जो एक साल पहले इसी महीने में 8.69 प्रतिशत से काफी कम है।
रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में भी 1 प्रतिशत की बड़ी कटौती की है।
अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर लगभग 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण सब्जियों, फलों, दालों और अन्य प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतों में नरमी है, और यह रिजर्व बैंक के आरामदायक दायरे में बनी हुई है।
सरकार की तरफ से ताजा आंकड़ों में कहा गया है कि खुदरा महंगाई जनवरी के मुकाबले फरवरी में घटी। फरवरी में आई यह गिरावट चालू वित्तीय वर्ष में सिर्फ तीसरी बार है जब महंगाई की दर 4 प्रतिशत से नीचे आई है।
साल के पहले महीने में महंगाई में आम लोगों को राहत मिली है। ग्रामीण मुद्रास्फीति दिसंबर में 5.76 प्रतिशत की तुलना में घटकर 4.64 प्रतिशत रह गई।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई, जबकि नवंबर में यह 5.48 प्रतिशत थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि कि फूड बास्केट में मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 9. 24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5. 66 प्रतिशत थी। एक साल पहले महीने में 6. 62 प्रतिशत थी।
कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त 2024 में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
अगस्त, 2024 में लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर काबू में रही। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही।
जुलाई में होलसेल प्राइस इंडेक्स में दर्ज की गई गिरावट इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप रही। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 5 साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जून में 5.08 प्रतिशत थी। जबकि बीते साल जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत थी।
Retail inflation : आरबीआई नीतिगत दरों पर फैसला करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ही मुख्य तौर पर ध्यान में रखता है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है।
आपको बता दें कि खुदरा मुद्रास्फीति खुदरा अप्रैल में मामूली घटकर 4.83 प्रतिशत पर रही। मार्च में यह 4.85 प्रतिशत के स्तर पर थी।
सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति दर का आंकड़ा जारी कर दिया है, जो पिछले 9 महीने के न्यूनतम स्तर पर है। मार्च में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर 4.85 प्रतिशत रही है, जो पिछले साल जून के 4.81 प्रतिशत के बाद सबसे कम है।
December CPI: दिसंबर में खुदरा महंगाई दर में इजाफा हुआ है और यह चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई में तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं की कीमत में इजाफा होना है।
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