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Ekadashi Vrat Katha: एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी के अलावा इस देवी की होती है पूजा, भक्तों की पूरी होती है हर मुराद

Ekadashi Vrat Story: एकादशी का व्रत करने से लक्ष्मी नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। एकादशी के दिन विष्णु जी के साथ इस देवी की भी पूजा होती है। तो आइए जानते हैं एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Nov 22, 2024 09:09 pm IST, Updated : Nov 22, 2024 09:09 pm IST
Ekadashi Vrat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ekadashi Vrat

Utapanna Ekadashi Vrat Katha:  हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं कि एकादशी के दिन व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना करने से सुख-सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा एकादशी का व्रत करने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस तरह सालभर में कुल 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। इसमें मार्गशीर्ष माह के कृ्ष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  उत्पन्ना एकादशी से ही एकादशी व्रत की शुरुआत हुई थी। तो आइए जानते हैं एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।

एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, मुर नामक एक भयंकर दैत्य था। उसने चारों तरफ अपने आतंक से हाहाकार मचाया हुआ था।  इतना ही नहीं मुर ने इंद्र और अन्य देवतताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी और उन्हें उनके सिंहासन से हटा दिया था।  दैत्य से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास अपनी व्यथा लेकर पहुंचे। तब भोलेनाथ ने उन्हें विष्णु जी के पास मदद मांगने के लिए भेजा। संसार के पालनहार नारायण ने देवताओं की प्रार्थना सुनी और मुर से युद्ध के लिए उसकी नगरी पहुंच गए। कहते हैं कि दैत्य मुर और विष्णु जी के बीच कई वर्षों तक युद्ध चला। युद्ध के दौरान लक्ष्मीपति को नींद आने लगी और वह विश्राम के लिए बद्रीकाश्रम गुफा चले गए। दैत्य मुर भी उनका पीछा करते-करते गुफा तक पहुंच गया। दानव मुर उनपर वार करने ही वाला था कि तभी विष्णु जी के शरीर से एक देवी का जन्म हुआ। उस देवी ने दैत्य मुर का वध कर दिया। इसके बाद देवताओं को इंद्र लोक की प्राप्ति हुई।  वहीं भगवान विष्णु की जब निद्रा खुली तो देवी ने उन्हें सारा वाकया सुनाया। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने देवी से कहा कि चूंकि तुम्हारा जन्म मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को हुआ है, इसलिए तुम्हारा नाम एकादशी होगा। आज से प्रत्येक एकादशी को मेरे साथ तुम्हारी भी पूजा होगी। कहते हैं कि 

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