Monday, April 29, 2024
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Ram Mandir Pran Pratishtha: मंदिर में मूर्ति रखने से पहले क्यों की जाती है प्राण प्रतिष्ठा? जानिए किन बातों का रखना होता है इसमें ध्यान

आज 22 जनवरी 2024 की शुभ घड़ी है। अयोध्या के राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सभी राम भक्तों का सपना आज साकार होने जा रहा है। आप भी जान लीजिए आखिर क्यों की जाती है मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा और इस दौरान किन नियमों का रखना होता है ध्यान।

Aditya Mehrotra Written By: Aditya Mehrotra
Updated on: January 22, 2024 6:23 IST
Ram Mandir Pran Pratishtha- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Ram Mandir Pran Pratishtha

Pran Pratistha 2024: आज  22 जनवरी 2024 सोमवार का वो महत्वपूर्ण दिन है जिसे युगों-युगों तक याद रखा जाएगा। 500 वर्षों के बाद रामलला आज अपने भव्य महल में विराजने जा रहे हैं। इस दिन का इंतजार सभी राम भक्तों को वर्षों से था। आज पूरी दुनिया राममय है। अयोध्या के राम मंदिर में आज रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त कुल 84 सेकेंड का रहेगा। आखिर मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और इसमें किन बातों का ध्यान रखना होता है। आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

वैदिक परंपरा के अनुसार जब भी मंदिर में देव प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है तो सबसे पहले उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने का विधान है। प्राण प्रतिष्ठा में वेद पाठी ब्रह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ उस देव प्रतिमा को जाग्रत अवस्था में लाया जाता है। मूर्ति की जब प्राण प्रतिष्ठा हो जीती है तब वह पूज्यनीय मानी जाती है। जब तक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है वह देव प्रतिमा वंदनीय नहीं होती है।

मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा दो प्रकार की होती है

  1. चल प्राण प्रतिष्ठा- शास्त्रों के अनुसार जो मूर्तियां बालू और मिट्टी से बनी होती हैं। उनकी चल प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। चल प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियों की शुभ पर्व पर झांकी निकाली जा सकती है और उनका विसर्जन भी कर सकते हैं। 
  2. अचल प्राण प्रतिष्ठा- अचल प्राण प्रतिष्ठा में जिस मूर्ति की एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है। फिर उसे वहां से हिलाया नहीं जा सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि जो मूर्तियां मंदिर में स्थापित की जाती हैं उनकी अचल प्राण प्रतिष्ठा होती है। एक बार मूर्ति की अचल प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद उनको वहां से फिर कभी भी नहीं हाटाया जाता है। जिस जगह मूर्ति की अचल प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है उसे वहीं स्थापित कर दिया जाता है। अचल प्राण प्रतिष्ठा में धातु की मूर्तियां या पत्थर से बनी मूर्तियां शामिल होती हैं।

प्राण प्रतिष्ठा के कुछ जरूरी नियम

  1. सनातन धर्म में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का बहुत अधिक महत्व है। जब तक देव मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है तब तक उसकी पूजा नहीं की जा सकती है और न ही उसे पूजा के योग्य माना जाता है।
  2. पूजा पद्धति के अनुसार किसी भी देव मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने से पहले उसका शुभ मुहूर्त निर्धारित करना चाहिए और उसी मुहूर्त के अंदर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जानी चाहिए।
  3. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा विधि पूर्वक ढंग से किसी श्रेष्ठ वेद पाठी ब्रह्मणों द्वारा ही करवाना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति की आंखों पर पट्टी भी बंधी होनी चाहिए।
  4. एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद उस मूर्ति की नियमित रूप से प्रतिदिन समय के अनुसार उसकी पूजा करनी चाहिए। 
  5. जो यजमान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करवाते हैं उनको पूजा के दौरान यम निमय का भी पालन करना चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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