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स्नान करते समय सबसे पहले किस अंग पर डालें जल? प्रेमानंद महाराज ने बताया नहाने का शास्त्रीय तरीका

प्रेमानंद महाराज ने स्नान करने के शास्त्रीय तरीके के बारे में एक सभा के दौरान जानकारी दी। आइए जान लेते हैं कि स्नान करते समय किस अंग पर सबसे पहले जल डालना चाहिए, और स्नान का सही तरीका का क्या है।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jan 25, 2025 10:53 IST, Updated : Jan 25, 2025 10:53 IST
Premanand Maharaj
Image Source : SOCIAL प्रेमानंद महाराज

स्नान करना हिंदू धर्म में दान जितना ही अहम माना गया है। चाहे पवित्र नदियों में हम स्नान करें या फिर घर में, सही तरीके से किया गया स्नान हमें शारीरिक और मानसिक स्वच्छता प्रदान करता है। स्नान के महत्व को जानने के लिए आप प्रयागराज के महाकुंभ मेले को देखें, कड़ाके की सर्दी के बीच भी करोड़ों लोग त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा रहे हैं। वृंदावन के प्रसिद्ध गुरु प्रेमानंद महाराज जी की मानें तो नहाने का शास्त्रीय तरीका भी है। इसकी जानकारी उन्होंने अपनी एक सभा के दौरान दी। आज इसी के बारे में हम आपको अपने इस लेख में जानकारी देंगे। 

किस अंग पर डालें सबसे पहले जल

प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि नहाने के लिए हमेशा ठंडे पानी का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ठंडे पानी से नहाने पर कई तरह के विकारों से हमको मुक्ति मिलती है। प्रेमानंद जी कहते हैं कि नहाते समय सबसे पहले पानी नाभि में डालना चाहिए, उसके बाद पूरे शरीर में पानी डाला जाना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले लोगों के लिए इस तरह स्नान करना सही माना गया है। शास्त्रीय रूप से इसे नहाने का सही तरीका माना जाता है। वहीं प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि शरीर पर साबुन-सोडा आदि का इस्तेमाल करना भी जरूरी नहीं है। शरीर पर मैल तेल के कारण चिपकता है, अगर आप रज यानि मिट्टी से शरीर धो देते हैं तो इससे शरीर मैला नहीं होता। 

बाल कैसे धोएं 

प्रेमानंद जी कहते हैं कि ब्रह्मचर्य का पालने करने वालों को अपने बाल रीठा या इस तरह के किसी प्राकृतिक और पवित्र चीज से धोने चाहिए। साबुन, शैम्पू आदि लगाने को प्रेमानंद जी सही नहीं बताते। वो कहते हैं कि इससे राग उत्पन्न होता है। अगर शरीर पर तेल न लगाया जाए तो त्वचा खुद ही साफ रहती है। 

स्नान के प्रकार

शास्त्रों के अनुसार स्नान चार प्रकार के होते हैं। सूर्योदय से पहले तारों की छाया में किए जाने वाले स्नान को ऋषि स्नान कहते हैं। ब्रह्म मुहूर्त में किया गया स्नान ब्रह्म स्नान कहलाता है। तीर्थ नदियों में किए गए स्नान को देव स्नान कहते हैं। वहीं सूर्योदय होने के बाद खाना पीना खाकर किए जाने वाले स्नान को दानव स्नान कह जाता है। गृहस्थ लोगों के लिए ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने को ही सही माना जाता है। ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति स्वच्छ रहता है। स्नान के लिए हमेशा ठंडे पानी का इस्तेमाल होना चाहिए, ऐसा करने से कोई रोग दूर होते हैं। 

स्नान करते समय मंत्रों का जप करने से शरीर के साथ ही मन की शुद्धि भी होती है। नहाते वक्त केवल ओंकार (ॐ) का जप करना भी आपके लिए हितकारी साबित हो सकता है। इसके साथ ही आप- ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु, मंत्र का जप भी कर सकते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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