नई दिल्ली। भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि पुरूषों को अपनी भावनाओं को छुपाना नहीं चाहिए और इन्हें व्यक्त करते समय अगर उनके आंसू छलक जाते हैं तो उन्हें शर्मसार नहीं होना चाहिए। ऐसा भी समय था जब पुरूषों का रोना कमजोर व्यक्तित्व की निशानी माना जाता था लेकिन तेंदुलकर इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। हालांकि ऐसा भी दौर था जब वह मानते थे कि आंसू निकलने से पुरूष कमजोर हो जाते हैं।
मौजूदा ‘इंटरनेशनल मेन्स वीक’ के मौके पर पुरूषों को खुले पत्र में इस महान क्रिकेटर ने कहा कि जब चीजें उनके मन मुताबिक नहीं चलती तो उन्हें खुद को सख्त नहीं दिखाना चाहिए। उन्होंने भावनात्मक संदेश में कहा, ‘‘अपने आंसू दिखाने में कोई शर्म की बात नहीं है। इसलिये अपने उस हिस्से को क्यों छुपाना जो वास्तव में आपको मजबूत करता हो? आंसू क्यों छुपाने चाहिए?’’
तेंदुलकर ने कहा, ‘‘क्योंकि आपको ऐसी ही सोच के साथ बड़ा किया गया है कि पुरूषों को रोना नहीं चाहिए। कि रोने से पुरूष कमजोर हो जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसी सोच के साथ बड़ा हुआ। आज मैं आपको इसलिये लिख रहा हूं क्योंकि मैंने महसूस किया है कि मैं गलत था। मेरी परेशानियों और मेरे दर्द ने मुझे वो बनाया है जो मैं हूं, मुझे बेहतर इंसान बनाया।’’ तेंदुलकर (46 वर्ष) ने कहा कि रोना आपको कमजोर नहीं करता।"