Thursday, April 25, 2024
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Exclusive । ओलंपिक टिकट मिलना शानदार लेकिन सबसे ज्यादा खुशी टोक्यो में मेडल जीतने पर होगी: सतीश कुमार

देश में चल रहे 21 दिनों के लॉकडाउन में बॉक्सर सतीश कुमार दिन-रात ओलंपिक की तैयारियों में लगे हुए है।

Vanson Soral Written by: Vanson Soral @VansonSoral
Updated on: April 13, 2020 9:05 IST
Getting Olympic tickets is fantastic but most of all happy to win medals in Tokyo: Satish Kumar- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Getting Olympic tickets is fantastic but most of all happy to win medals in Tokyo: Satish Kumar

कोरोना संकट की वजह से खेलों के महाकुंभ टोक्यो ओलंपिक को भले ही 1 साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया हो लेकिन इससे सुपर हेवीवेट कैटेगिरी में ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने वाले पहले भारतीय बॉक्सर सतीश कुमार के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। देश में चल रहे 21 दिनों के लॉकडाउन में 

बॉक्सर सतीश कुमार दिन-रात ओलंपिक की तैयारियों में लगे हुए है। इसी सिलसिले में इंडिया टीवी ने ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन में इतिहास रचने वाले बॉक्सर सतीश कुमार से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने टोक्यों ओलंपिक की तैयारियों और ट्रेनिंग को लेकर विस्तार से चर्चा की।

सतीश भारत के पहले ऐसे बॉक्सर है जिन्होंने सुपर हेवीवेट कैटेगिरी में ओलंपिक का टिकट हासिल किया है जो उन सभी युवा बॉक्सर के लिए एक मिसाल है जो ओलंपिक में जाने का सपना देख रहे हैं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में सतीश ने बताया, "बहुत खुशी होती है ये सोचकर कि मैं भारत का पहला ऐसा बॉक्सर हूं जिसने सुपर हेवीवेट कैटेगिरी में ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया है। मेरे इस प्रदर्शन से आने वाले कई युवा बॉक्सरों को प्रेरणा मिलेगी, ऐसा मेरा मानना है।"

ओलंपिक का टिकट हासिल करने के बावजूद सतीश के लिए टोक्यों ओलंपिक में राह आसान नहीं हैं क्योंकि बॉक्सिंग में सुपर हेवीवेट कैटेगिरी अन्य कैटेगिरी की तुलना में काफी कठिन मानी जाती है। इस पर सतीश ने कहा, "सुपर हेवीवेट कैटेगिरी में चुनौती सबसे ज्यादा होती है। मिडिलवेट कैटेगिरी में जहां समान भार वाले बॉक्सर एक दूसरे का सामना करते हैं। जबकि सुपर हेवीवेट कैटेगिरी में 91 किग्रा. से ज्यादा वजन वाला बॉक्सर हिस्सा लेता है। इस कैटेगिरी को फ्रीवेट कैटेगिरी भी कहा जाता है क्योंकि इसमें 91 किग्रा. से ज्यादा वजन वाले दो बॉक्सर एक दूसरे का सामना करते हैं फिर चाहें दोनों बॉक्सर का वजन के बीच कितना भी अंतर क्यों न हो। इसलिए इस कैटेगिरी में पावर बहुत ज्यादा अहमियत रखती है।"

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित पचौता गांव के निवासी सतीश ने कभी नहीं सोचा था कि बॉक्सिंग में वह इस मुकाम तक पहुंचेंगे। बॉक्सिंग में करियर बनाने के सवाल पर सतीश बताते हैं, "मैंने जब साल 2008 में 18 साल की उम्र में आर्मी ज्वाइन की थी तभी से बॉक्सिंग करना शुरू किया। उससे पहले मैंने कभी भी बॉक्सिंग नहीं की थी और मैं गांव का रहने वाला हूं जहां मैंने सिर्फ क्रिकेट और कबड्डी ही खेला था। साल 2010 से मैंने बॉक्सिंग को गंभीरता से लेना शुरू किया। मैं जब रानीखेत में आर्मी की बेसिक ट्रेनिंग कर रहा था तो वहां सेंटर टीम के कोच ने मुझे देखा और मेरी फिजिक को देखकर उन्हें लगा कि मैं बॉक्सिंग कर सकता हूं। उसके बाद मैं सेंटर टीम की ओर से बॉक्सिंग करने लगा और धीरे-धीरे बॉक्सिंग कंपटीशन में सफलता हासिल करता चला गया।"

जापान की राजधानी टोक्यो में अब 1 साल बाद ओलंपिक होना हैं, जिसमें मेडल जीतने के लिए एथलीट को अपना सबकुछ झौंकना पड़ता है। ऐसे में सतीश से जब टोक्यो में मेडल जीतने की ख़ास तैयारी के बारें में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "पहली बार किसी बीमारी की वजह से ओलंपिक खेलों को 1 साल के लिए टाला गया है। बाकी हमारी ट्रेनिंग जारी है और 1 साल का समय तैयारी के लिए काफी होता है। ऐसे में हम ओलंपिक के लिए और भी ज्यादा मेहनत और तैयारी अच्छे से कर सकते हैं।"

सतीश ने आगे बताया, "पिछले 2 साल में मेरी बॉक्सिंग में काफी सुधार हुआ है जिसमें बेसिक और स्पीड शामिल हैं। जैसे-जैसे कम्पटीशन जीतता गया उससे काफी अनुभव भी मिला है। अनुभव की वजह से मेरी बॉक्सिंग की तैयारी में काफी मदद मिली है। साथ ही मेरी स्पीड में भी काफी सुधार हुआ है। मुझे लगता है कि मेरे अंदर स्ट्रैंथ की थोड़ी कमी हैं इसलिए मैं सबसे ज्यादा स्ट्रैंथ पर काम कर रहां हूं। मेरे पास तैयारी के लिए 1 साल का समय है लिहाजा बॉक्सिंग से रिलेटिड ट्रेनिंग पर भी फोकस कर रहा हूं।"

ओलंपिक में हर बॉक्सर को एक कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय बॉक्सर अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। ऐसे में जब सतीश ने पूछा गया कि उन्हें किन देशों के बॉक्सरों को सबसे बड़ी चुनौती के तौर पर देख रहे हैं, तो उन्होंने कहा, "एशिया की बात करें तो, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के बॉक्सर काफी शानदार हैं। दोनों ही देशों के बॉक्सर ओलंपिक में हमारे लिए कड़ी चुनौती होंगे। यूरोपियन बॉक्सर भी काफी अच्छा कर रहे हैं। बाकी सभी देशों के बॉक्सर मेडल जीतने के मकसद से ओलंपिक में अएंगे तो किसी को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है।"

सतीश ने उस दर्द को भी हमसे साझा किया जब वह खराब किस्मत के कारण रियो ओलंपिक का टिकट हासिल करने से चूक गए थे। सतीश ने बताया, "रियो ओलंपिक में जाने का मेरे पास अच्छा मौका था। उस वक्त क्वॉलिफिकेशन के क्वॉर्टरफाइनल राउंड में मेरे कट लग गया था। इस मुकाबले में मैंने अपनी पूरी जान लगा दी थी लेकिन जब कट लग गया तो आप कुछ नहीं कर सकते। नियम के हिसाब से आपको मुकाबले से बाहर होना पड़ा जो काफी निराश करने वाला था। उस ओलंपिक क्वॉलिफिकेशन में मैंने दूसरे देशों के कई बॉक्सरों को देखा था और मुझे लग रहा था कि मैं इन सभी को हराकर ओलंपिक का टिकट हासिल कर सकता हूं। इसके बाद भी कोच भरोसा मेरे ऊपर बरकरार रहा और मैंने उसी हिसाब से अपनी ट्रेनिंग जारी रखी। आज देखिए मैंने टोक्यो ओलंपिक का टिकट भी हासिल कर लिया है।"

सतीश आगे बताते हैं, "मैं ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने वाला भारत का पहला हेवीवेट बॉक्सर हूं। ये सोचकर बहुत अच्छा लगता है। लेकिन इससे भी ज्यादा खुशी मुझे तब होगी जब मैं टोक्यो ओलंपिक में अपने देश के लिए मेडल लेकर आउंगा। लॉकडाउन के दौरान फेडरेशन और साई का काफी सहयोग मिल रहा है। घर पर रहकर हम ट्रेनिंग कर रहे हैं और अपना डाइट प्लान भी फॉलो कर रहे हैं। हमारे पास अपना ट्रेनिंग प्रोग्राम भी है जिसके हिसाब से हम तैयारी कर रहे हैं। फेडरेशन हमें ऑनलाइन कोचिंग और ट्रेनिंग भी करा रही है। हर तरह का सहयोग हमें फेडरेशन से मिल रहा है।"

सतीश से जब टोक्यों ओलंपिक को लेकर किसी तरह के अतिरिक्त दबाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "देखिए दवाब तो ऐसा तो कुछ नहीं है लेकिन प्रेशर भी लेना थोड़ा जरुरी है। अगर हम थोड़ा प्रेशर नहीं लेंगे तो अपना लक्ष्य कैसे हासिल करेंगे। जब तक हम एक टारगेट नहीं बनाएंगे और थोड़ा प्रेशर नहीं लेंगे तो हम उस तरह से ट्रेनिंग नहीं कर पाएंगे।"

अन्य भारतीय बॉक्सरों की मेडल दावेदारी पर सतीश ने कहा, "मेरे हिसाब से तो भारत के सभी बॉक्सर मेडल के दावेदार हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब हमारे इतने ज्यादा बॉक्सर ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किए हैं। सभी कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उम्मीद हैं कि ज्यादा से ज्यादा मेडल बॉक्सिंग में भारत की झोली में आएंगे।"

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